Saturday, June 29, 2013

ज़िन्दगी को चलना है

ज़िन्दगी का क्या है
ज़िन्दगी को चलना है

हर्ष हो, उल्लास हो
गुम हुआ उजास हो
पर्ण-पर्ण हों नवीन
या जगत हो प्रलीन
हम तो बस प्यादे हैं
कदम-कदम बढ़ना है
ज़िन्दगी का क्या है
ज़िन्दगी को चलना है

प्रलय यूँ ही आएगा
प्रलय यूँ  ही जाएगा
बन्धु साथ आयेंगे
फिर वो छूट जायेंगे
यही रीत चलती आई
आह हमें भरना  है
ज़िन्दगी का क्या है
ज़िन्दगी को चलना है

कहाँ हमें शक्ति इतनी
रोक लें तूफ़ान को
कहाँ हमें जोर इतना
बाँध लें उफान को
नियति निर्णायक है  
बुझना कि जलना है
ज़िन्दगी का क्या है
ज़िन्दगी को चलना है

कर्म सारे पाक थे
सत्य लिए डाक थे
उसके निर्मम खेल से
सब के सब अवाक थे  
सदियों से वही उलझन है
सबको ही उलझना है
ज़िन्दगी का क्या है
ज़िन्दगी को चलना है

धार में घिरे निरीह    
काल कर में फंसे
दे आघात वो चले
प्राण में जो थे बसे
प्रत्यागत हुआ कौन
क्रूर बहुत बिधना है
ज़िन्दगी का क्या है
ज़िन्दगी को चलना है

उठाकर गिरा देना
बनाकर मिटा देना
छिपाकर बता देना
दिखाकर छुपा लेना
सारा उसका व्यूह है
सबको ही गुजरना है
ज़िन्दगी का क्या है
ज़िन्दगी को चलना है

किस पर रोऊँ आज
भग्न तार, भग्न साज़
सर्वत्र उज्जट, सर्वत्र ध्वंस   
सर्वत्र नाग का है दंश 
तिल-तिल ही जीना है  
तिल-तिल ही मरना  है  
ज़िन्दगी का क्या है
ज़िन्दगी को चलना है

हों समर्थ मेरे हाथ  
तो बारहा बहार हो
ख़ुशी बसे आँखों में  
ना कि अश्रु-धार हो
मेरी मगर कौन सुने
करता वो, जो करना है
ज़िन्दगी का क्या है
ज़िन्दगी को चलना है

सब हुए है मनोहंत
विकल हरेक प्राण है
है व्यथा पहाड़ सा
आसान नहीं त्राण है
और कुछ बचा नहीं
खुद से फिर संभलना है
ज़िन्दगी का क्या है
ज़िन्दगी को चलना है 


(निहार रंजन, सेंट्रल, २६ जून २०१३)

27 comments:

  1. behad sundar,,,
    ज़िन्दगी का क्या है
    ज़िन्दगी को चलना है

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  2. और हमें उसको चलते हुए केवल देखना है . ऐसी बेबसी है ..मर्म को स्पर्श करती हुई सुन्दर रचना..

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  3. जिंदगी तो ऐसे ही निर्बाध चलती रहती लेकिन राह में तमाम ऊँचे नीचे पड़ाव आते रहते हैं.

    सुंदर प्रस्तुति.

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  4. होए वही जो राम रची राखा.. फिर क्या करना है.. जिंदगी को हर कीमत पर चलना है लाजवाब रचना... !!

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  5. बहुत सुंदर……बढिया .. जिंदगी को हर कीमत पर चलना है लाजवाब रचना... !!

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  6. हों समर्थ मेरे हाथ
    तो बारहा बहार हो
    ख़ुशी बसे आँखों में
    ना कि अश्रु-धार हो
    मेरी मगर कौन सुने
    करता वो, जो करना है
    ज़िन्दगी का क्या है
    ज़िन्दगी को चलना है


    एक बेबसी तो है मन मेँ......नियति के सामने प्रकृति भी बेबस है ....किन्तु जो हो चुका है वो तो अमिट है ....सच कहा आपने ....
    ज़िन्दगी का क्या है
    ज़िन्दगी को चलना है
    बहुत सुंदर रचना .....

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  7. ज़िंदगी तो चलती ही है .... बहुत सुंदर शब्दों में बांधा है अपने भावों को ।

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  8. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार ।

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  9. वाह क्‍या खूब प्रलेप किया जलप्रलय पर
    पढ़कर अन्‍दर तक भीगा इन पंक्तियों पर...........बहुत ही सुन्‍दर गीत।

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  10. ज़िन्दगी का क्या है
    ज़िन्दगी को चलना है
    सच में
    ज़िन्दगी का क्या है
    ज़िन्दगी को चलना है

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  11. अन्तर्मन को छू गई आपकी रचना ....ज़िन्दगी तो चलती ही जाएगी .....मर्मस्पर्शी ...!!!

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  12. कवि के उद्गार!
    ध्वंस के बाद सृजन का इंतज़ार

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  13. सब हुए है मनोहंत
    विकल हरेक प्राण है
    है व्यथा पहाड़ सा
    आसान नहीं त्राण है ..

    हर छंद में एक सच्चाई है ... और अंत भी एक सच्चाई है की जिंदगी को चलना है ... शायद इसी का नाम जिंदगी है ... भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...

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  14. सब हुए है मनोहंत
    विकल हरेक प्राण है
    है व्यथा पहाड़ सा
    आसान नहीं त्राण है
    और कुछ बचा नहीं
    खुद से फिर संभलना है
    ज़िन्दगी का क्या है
    ज़िन्दगी को चलना है

    .....एक प्रेरणा जीवन को चलने की...हरेक पंक्ति एक सचाई को अभिव्यक्त करती...बहुत सुन्दर

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  15. बहुत सुंदर रचना
    मन को छूती हुई
    जीवन के सार्थक सृजन की अनुभूति
    बधाई

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  16. With such an array of ups and downs, we have to keep going. Each verse sounds so true.

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  17. Lovely!! One can create a filmi song with these meaningful words! I loed these lines very much

    उठाकर गिरा देना
    बनाकर मिटा देना
    छिपाकर बता देना
    दिखाकर छुपा लेना
    सारा उसका व्यूह है
    सबको ही गुजरना है

    keep writing :)

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  18. सब हुए है मनोहंत
    विकल हरेक प्राण है
    है व्यथा पहाड़ सा
    आसान नहीं त्राण है
    और कुछ बचा नहीं
    खुद से फिर संभलना है
    ज़िन्दगी का क्या है
    ज़िन्दगी को चलना है
    वाह.सुन्दर प्रभावशाली ,भावपूर्ण ,बहुत बहुत बधाई...

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  19. सही कहा चलने का नाम ही जिंदगी है । बढ़िया प्रस्तुति।

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  20. यह जीवन है ...
    शुभकामनायें !

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  21. खुद से फिर संभलना है
    ज़िन्दगी का क्या है
    ज़िन्दगी को चलना है
    वाह.सुन्दर बहुत सुन्दर मनभावन रचना ...
    :-)

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  22. ज़िन्दगी चलती रहेगी, त्रासदियाँ आएँगी-जाएँगी, जो बाख जायेंगे- वो फिर आगे बढ़ेंगे .. बात तो सही है निहार भाई, मनुष्य की इतनी क्षमता कहाँ कि इन बलाओं को थाम सके! संवेदनाएं हैं, क्षोभ भी। मगर अक्सर लगता है कि हमारी ही फितरत है अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेना, वर्ना मिलकर स्वर्ग तो हम भी बना सकते थे।
    (बहुत दिनों बाद पढना हो पाया ब्लॉग, अच्छा लगा .. कुछ कारणों से ब्लॉग्गिंग नहीं कर पा रहा था नियमित)..
    बहरहाल, सुन्दर शब्द-संचयन के साथ इस खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिए बधाई।

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  23. प्रवाहमयी और चिंतनशील अभिव्यक्ति

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  24. नासमझों के लिए अच्छी चीज भी बेकार हो जाती है लेकिन एक कलाकार बेकार चीज को भी अपनी कला से अर्थपूर्ण बना देता है ...जिंदगी भी ऐसी ही है कैसे जीया जाय निर्णय हमारे हाथ में है ! सार्थक भाव ...

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  25. बहुत सुन्दर रचना आपकी इस उत्कृष्ट रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (08.07.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी. कृपया पधारें .

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