Saturday, August 24, 2013

यही है, जो है

यही अक्षर समूह हैं
जिसमे अब मेरा सब है
मेरी प्रतिच्छाया, उन्माद, अवसाद   
हर्ष, आर्तनाद, आह्लाद
सब यही है
वरन मेरे इस नश्वर शरीर का,
जिसका भविष्य यही पल हो,
मोल क्या है?
इसलिए अपनी तारीकी, अपना रंग
स्वप्न, कल्पना, यथार्थ के संग    
ह्रदय में उपजे भाव
बिना तोड़े, मरोड़े
बिम्बों की जटिलताओं से दूर
इन्हीं सीधे भावों में
दफ़न करना चाहता हूँ 
तिमिर स्नात निलयों में
भास्वर पुंज प्रवाहित कर
कुछ शब्द-पुष्पों के उपवन
उगाना चाहता हूँ
वर्ण-तरुओं की छांह में
शीतलता के स्वार्थवश
छंदित मन से कुछ
स्वछंद गीत गाना चाहता हूँ 
ह्रदय से शब्दों की
शीतल निर्झरणी बहती रहेगी
लयहीन हो या अनसुलझा   
यह यात्रा अविरत चलती रहेगी
अक्षर से अ-क्षर जीवन है
यही मेरा मीरास धन है
यही मेरा निर्वाण है
सतत प्रघातों से देता 
सद्क्षण तनु-त्राण  है
अक्षर हैं, यही है, जो है.


(ओंकारनाथ मिश्र, सेंट्रल, ८ अगस्त २०१३)

25 comments:

  1. खूबसूरत अभिव्यक्ति, बेजोड़ रचना।

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  2. sahi bat hai jo wo yahi hai mn kebhaw dil ke udgaar bejod rachna niranjan jee ..

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  3. अक्षरों में सिमटा कर स्‍वयं को

    जीवन को नया जीवन देना हुआ।

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  4. आपकी इस उत्कृष्ट रचना का प्रसारण कल रविवार, दिनांक 25/08/2013 को ब्लॉग प्रसारण http://blogprasaran.blogspot.in/ पर भी .. कृपया पधारें !

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  5. अक्षर हैं, यही है, जो है.
    ***
    यह सत्य बसा रहे मन में, यात्रा अविरत चलती ही रहेगी!
    सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  6. नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (25-08-2013) के चर्चा मंच -1348 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  7. अक्षर से अ-क्षर जीवन है
    यही मेरा मीरास धन है
    बिल्कुल सही खुबसूरत प्रस्तुति !!

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  8. यही है अभिव्यक्ति की मानव-सुलभ तृष्णा !

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  9. छंदित मन से कुछ
    स्वछंद गीत गाना चाहता हूँ
    तथास्तु आमीन
    बहुत ही खूबसूरत इच्छा

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  10. आदरणीय अपकी यह प्रभावशाली प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गयी है।
    कृपया http://nirjhar.times.blogspot.in पर पधारें,आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  11. क्षर-क्षर जितना भी लिखा
    अक्षर रहा अ-लिखा
    जो है नहीं लिखा
    वही तो है दिखा..

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  12. मन की तृष्णा शब्द से शांत होती है , बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
    latest post आभार !
    latest post देश किधर जा रहा है ?

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  13. यही मेरा निर्वाण है , बहुत सुन्दर..

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  14. सुन्दर रचना

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  15. यही अक्षर समूह हैं
    जिसमे अब मेरा सब है
    मेरी प्रतिच्छाया, उन्माद, अवसाद
    हर्ष, आर्तनाद, आह्लाद
    सब यही है

    ........... खुबसूरत प्रस्तुति !!

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  16. अक्षर हैं, यही है, जो है. गहन अभिवयक्ति......

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  17. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .......

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  18. बेहद सुन्दर लेखन यही है कि अपना सब कुछ समेट लेता है…. लाजवाब प्रस्तुति |

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  19. बिम्बों की जटिलताओं से दूर
    इन्हीं सीधे भावों में
    दफ़न करना चाहता हूँ
    तिमिर स्नात निलयों में
    भास्वर पुंज प्रवाहित कर
    कुछ शब्द-पुष्पों के उपवन
    उगाना चाहता हूँ bilkul teek dharana ke sahi umang ......sundar rachana ke liye aabhar Ranjan ji .

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  20. यही है ...जो है....
    ये बहुत कुछ है.....
    बेहद सुन्दर रचना...!!

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  21. अक्षर से अ-क्षर जीवन है
    यही मेरा मीरास धन है
    यही मेरा निर्वाण है ....
    --------------
    kamaal hain aap....

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  22. अक्षर से अ-क्षर जीवन है
    यही मेरा मीरास धन है
    यही मेरा निर्वाण है
    सतत प्रघातों से देता
    सद्क्षण तनु-त्राण है
    अक्षर हैं, यही है, जो है.
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ है अर्थपूर्ण सुन्दर रचना !

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  23. यह शाश्वत सातत्य बना रहे

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  24. अक्षर से अ-क्षर जीवन है
    यही मेरा मीरास धन है
    यही मेरा निर्वाण है
    सतत प्रघातों से देता
    सद्क्षण तनु-त्राण है
    अक्षर हैं, यही है, जो है.

    ....शाश्वत सत्य की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...

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  25. अक्षर वो नाद है तो आदि से अंत तक गूंजती है अंतस तक ...
    ये शाश्वत है आधार है .... यही श्रृष्टि है ...

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