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Thursday, October 31, 2013

यही हो याचना

आप सबों को दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें!


शाप, प्रतिशाप के निरर्थक
अग्नि की झुलसाई
वेदना संतप्त लेकिन 
अम्लान मुखी हुलसाई
देवलोक की प्यारी
है धर्म निभाने आई
नदी, वृक्ष का रूप धर
करने को कुशलाई
नहीं जानती है वो
होती क्या कृपणाई
आओ हाथ पसारें
मांगे निर्मल मन
मांगे वो गुण उससे
धन्य करे जो जीवन
और याच लें उससे
बीते तिमिरमय रात
कालेय किल्विष पर
हो कुलिश का पात

(निहार रंजन, सेंट्रल, ३१ अक्टूबर २०१३)

कालेय किल्विष- कलयुगी पाप

कुलिश- वज्र