Wednesday, February 12, 2014

कौन कहे

लाशें ये किसकी है, लाशों का पता, कौन कहे
खून बिखरा है, मगर किसकी ख़ता, कौन कहे

वो तो मकतूल की किस्मत थी, मौत आई थी
ऐसे में किस-किस को दें, कातिल बता, कौन कहे

मत कहो उनके ही हाथों से, हुआ था गुनाह  
वो तो हथियारों ने की रस्म अता, कौन कहे  

ये नयी  बात  नहीं है, जो  तुम घबराते हो
ये तो बस  वक़्त है, देता है सता, कौन कहे

बेवजह हो रहा स्यापा, अरे सब सुनते हो?
कौन मुंसिफ है यहाँ, क्या है मता, कौन कहे 

फिर कभी लहर-ऐ-सियासत  जब उठेगी यहाँ
फिर कभी लिखेंगे हम शेर, क़ता, कौन कहे 


(निहार रंजन, सेंट्रल, १५ अक्टूबर २०१३)

30 comments:

  1. वर्तमान राजनीतिक को दर्शाती.. अच्छी रचना...... सच ही कहा ये लाशे..... ये खून खराबा...... ये कातिल का कहर या वक़्त का कहर है.... कहना मुश्किल

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  2. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (14.02.2014) को " "फूलों के रंग से" ( चर्चा -1523 )" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है,धन्यबाद।

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  3. बेवजह हो रहा स्यापा, अरे सब सुनते हो?
    कौन मुंसिफ है यहाँ, क्या है मता, कौन कहे ,,,
    बहुत ही लाजवाब ... नए काफियों के साथ सम्पूर्ण गजाल .. हर शेर का अन्दाये बयाँ लाजवाब है ...

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  4. हर एक शेर बेहतरीन
    लाजवाब गजल !

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  5. कौन कहे
    कैसे कह जाते हैं लाजबाब बेमिसाल

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  6. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ....वर्तमान परिदृश्य पर ....

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  7. मौत आयी थी तो मर गए ...
    हादसा था या कत्ल कौन कहे किसे क्या पता... :)

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  8. हर शेर काबिलेतारीफ ...बेहद गहन भाव ......मर्मस्पर्शी रचना ....!!

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  9. बेहतरीन गजल....बहुत ही अच्छा....
    :-)

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  10. वाह वाह एक बिलकुल नया रंग निहार जी ... खूबसूरत एवं गहरे भावों से लबरेज आपकी इस ग़ज़ल का क्या कहें .. बहुत सुन्दर

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  11. ये तो बस वक़्त है, देता है सता, कौन कहे....
    वाह.. हर शेर आपका उम्दा है...

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  12. वाह ! बहुत खूब ...... उम्दर और गहरे अर्थ लिए शेर ......... दूसरे शेर में 'किस-किस' की जगह 'किसे-किसे' ज्यादा सही लगता |

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  13. इन फड़कते होंठों को कौन समझाए जो पूछने की हिमाकत कर ही जाता है कि... कौन कहे ?

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  14. वो तो मकतूल की किस्मत थी, मौत आई थी
    ऐसे में किस-किस को दें, कातिल बता, कौन कहे
    bahut hi sunder
    rachana

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  15. मत कहो उनके ही हाथों से, हुआ था गुनाह
    वो तो हथियारों ने की रस्म अता, कौन कहे
    Bhai Ranjan ji apki bemishal Gajal bilkul antarman ko prbhavit kr gayee .....koti koti badhai apko .

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  16. लाशें ये किसकी है, लाशों का पता, कौन कहे
    खून बिखरा है, मगर किसकी ख़ता, कौन कहे
    बढ़िया कहा …
    आप तो गजल में भी माहिर है,, मुझे इसकी समझ बहुत कम है
    पर भाव जरुर अच्छे लगे !

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  17. खून बिखरा है, मगर किसकी ख़ता, कौन कहे

    वाह !!

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  18. वो तो मकतूल की किस्मत थी, मौत आई थी
    ऐसे में किस-किस को दें, कातिल बता, कौन कहे
    ...वाह...सभी अशआर दिल को गहराई तक छू जाते हैं...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  19. मत कहो उनके ही हाथों से, हुआ था गुनाह
    वो तो हथियारों ने की रस्म अता, कौन कहे
    lajavan bahut khoob
    rachana

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  20. मत कहो उनके ही हाथों से, हुआ था गुनाह
    वो तो हथियारों ने की रस्म अता, कौन कहे
    lajavan bahut khoob
    rachana

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  21. ये नयी बात नहीं है, जो तुम घबराते हो
    ये तो बस वक़्त है, देता है सता, कौन कहे....वाह शानदार अशआर ,बहुत बढ़िया

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  22. सुंदर प्रस्तुति।।।

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  23. समाज की विद्रूपता को उजागर करती हुई गजल।

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  24. कहते सकुचाते फिर भी इतना कुछ कह जाते

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  25. बेवजह हो रहा स्यापा, अरे सब सुनते हो?
    कौन मुंसिफ है यहाँ, क्या है मता, कौन कहे!

    सुनते हैं कि सड़क पर मसीहों का हुजूम है,
    आबाद हुए जाते हैं हम, या कि बर्बाद, कौन कहे?

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