Thursday, September 5, 2013

लेकिन कविता रूठी है


देख यह विस्तीर्णता यूँ
व्योम में फिरता हुआ मन
नील नभ की नीलिमा से
तीर पर तिरता हुआ मन
लेकिन कविता रूठी है

दिवस किरण-वांछा से तिरपित
चले विहग उत्फुल्ल हो-हो कर  
कुछ पेड़ों की फुनगी चढ़कर  
उठा रहे नंदद स्वर अंतर
लेकिन कविता रूठी है

उड़-उड़ कर आती है हवाएं
तन सहलाये, मन सहलाये
मंद-मंद, कानों पर थपकी
देती जाये, मन हुलसाये
लेकिन कविता रूठी है

मौन हैं पर्वत मगर
विगलित हिमों से कह रहे
लब्ध है उनको मिलन
उन्मुक्त हो जो बह रहे   
लेकिन कविता रूठी है

अगत्ती बादल अल्हड़ाये  
कर प्रत्यूह प्रधर्षित पथ में
कहता रहता है रह-रह कर
आओ उड़ लो कल्पित रथ में
लेकिन कविता रूठी है

चुप सी विभावरी रात है
बहती मद्धिम वात है
तारिकाएं है गगन में
भावों की बरसात है
लेकिन कविता रूठी है

(निहार रंजन, सेंट्रल, ५ सितम्बर २०१३)

अगत्ती - खुराफाती, जिसकी चाल  या गति का निर्णय कर पाना मुश्किल हो 

28 comments:

  1. वो खुद आएगी चल कर, कलम की नोक पर और स्याही में रच बस कर खिल जायेगी जैसे खिली है आपकी इस कविता में...!
    रूठी कविताओं का फिर फिर लौट आना होता रहता है आँगन में!

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  2. चुप सी विभावरी रात है
    बहती मद्धिम वात है
    तारिकाएं है गगन में
    भावों की बरसात है
    लेकिन कविता रूठी है ...
    कविता का सम्बह्न्द मन से होता है ... जब तक मन इन सबको महसूस नहीं करता कविता कहां रहती है ...

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  3. इतने अनोखे मौसम में भावों की इतनी विभिन्‍न बरसातें हैं, तब भी कविता रुठी है। ये बात कितनी अनूठी है। कविता के भाव सीधे मन में उतर रहे हैं।

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  4. अजी कहाँ रूठी है वो तो अठखेलियाँ कर रही कलम के साथ..... बहुत ही शानदार |

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  5. कविता रूठी है ....
    मान जाएगी तो क्या होगा ....
    नौवाँ आश्चर्य ....
    हार्दिक शुभकामनायें

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  6. मौन हैं पर्वत मगर
    विगलित हिमों से कह रहे
    लब्ध है उनको मिलन
    उन्मुक्त हो जो बह रहे
    लेकिन कविता रूठी है

    यह पंक्तियाँ विशेष अच्छी लगीं।

    सादर

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  7. अक्सर होता है ...लाख लुभावन के बाद भी .....वह नहीं मानती .....बस रूठ रूठ ..यूहीं सताती

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  8. अक्सर ऐसा ही होता है..जब हमारी ही कविता हमसे रूठ जाती है।।। सुंदर प्रस्तुति।।।

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  9. वाह ,बहुत सुन्दर

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  10. बहुत बढ़िया बहुत सुन्दर...!!


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  11. सिर्फ आपको लग रहा है कि रूठी है वह तो कलम से बह चली है किसी नदी की तरह, हवा की तरह और हमें विभोर कर गई है आपकी ये रूठी कविता।
    सुंदर प्रस्तुति।

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  12. कविता के रूठे हुए भी इतनी सुन्दर कविता हो गयी !

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  13. कविता रूठ कर भी सुन्दर कविता दे गयी..
    :-)

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  14. भावों की बरसात है
    लेकिन कविता रूठी है.... बहुत सुंदर प्रस्तुति !!

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  15. जब रूठी कविता ऐसी है
    तो हँसेगी तो क्या होगा ?
    अति सुन्दर काव्य-कृति..बधाई..

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  16. ये क्या हो गया है आपकी कविता को ? कुछ तो जतन करना होगा साहब .....

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  17. हमें तो नहीं लगता कि कविता रूठी है शायद गर्वित हो इठला रही है किन्तु निहार जी इस बार शब्दकोष की आवश्यकता पड़ गयी और तब भी अगत्ती का अर्थ पता नहीं चला कृपया मुश्किल शब्दों का अर्थ बता दीजिये

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    1. वंदना जी, अगत्ती की ओर ध्यान दिलवाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अगत्ती का अर्थ आपको शब्दकोष में भी नहीं मिला. अगत्ती आंचलिक शब्द है जिसका एक अर्थ है "वो जिसकी चाल या गति का निर्णय कर पाना मुश्किल हो". मैं साधारणतया आंचालिक शंब्दों को तिरछा लिखता हूँ और उसका अर्थ भी लिख देता हूँ लेकिन इस पोस्ट को लिखने से पहले किसी दूसरी कविता पर अटका हुआ था. जल्दी-जल्दी में इसे लिखा और उसी जल्दी में भूलवश यह त्रुटि रह गयी. ध्यान दिलाने के लिए फिर से धन्यवाद आपको.

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    2. शुक्रिया निहार जी

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  18. कविता रूठकर जायेगी कहाँ ...
    बहुत सुन्दर रचना

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  19. भाव प्रबल हों अगर तो कविता मान ही जाती है :), बहुत सुन्दर कविता

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  20. चुप सी विभावरी रात है
    बहती मद्धिम वात है
    तारिकाएं है गगन में
    भावों की बरसात है
    लेकिन कविता रूठी है------

    वाकई वर्तमान में जीवन मूल्यों के प्रति हो रहे संघर्ष से
    सृजनशीलता में कमी आई है इसी कारण कविता रूठी है-----

    गहन विचार लिए सार्थक रचना----बहुत सुंदर
    बधाई

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  21. ruthi hui kavita aisee hai to manane ke bad kya hoga ...gazab ki prastuti ranjan jee ....

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  22. बेहतरीन अभिवयक्ति.....

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  23. कहता रहता है रह-रह कर
    आओ उड़ लो कल्पित रथ में
    लेकिन कविता रूठी है
    ............बहुत सुन्दर कविता

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