Wednesday, April 3, 2013

आशा का दीप

आशा का दीप


लौ दीप का अस्थिर कर जाता है
जब एक हवा का झोंका आता है
पल भर को तम होता लेकिन
फिर त्विषा से वो भर जाता है
इस दीप की है कुछ बात अलग
यह दीप नहीं बुझ पाता है

मैं तो स्थिर हो चलता हूँ
पर हिल जाता है भूतल
डगमग होते हैं पाँव मगर  
कर मेरे रहता दीप अटल    
लौ घटती-बढती इसकी लेकिन
यह दीप नहीं बुझ पाता  है

श्रमजल से सिंचित यह प्रतिपल
जाज्व्ल्यमान यह दीप अचल
बाधा के पतंगों से लड़कर
मुस्काता रहता है अविरल
पतंगा आता है, मर जाता है
पर दीप नहीं बुझ पाता  है

(निहार रंजन, सेंट्रल, २९ मार्च २०१३).

29 comments:

  1. जलता रहे दीप सदा आशाओं का .....बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...!!

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  2. मैं तो स्थिर हो चलता हूँ
    पर हिल जाता है भूतल
    डगमग होते हैं पाँव मगर
    कर मेरे रहता दीप अटल
    लौ घटती-बढती इसकी लेकिन
    यह दीप नहीं बुझ पाता है
    अनुपम भाव संयोजन ... आभार

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  3. आशाओं का दीप जलते रहना चाहिए,बेहतरीन रचना.

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  4. आत्मविश्वास से भरा यह आशा का दीप
    अविरल जलता रहे ...सुन्दर रचना बहुत अच्छी लगी आभार !

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  5. आशाओं के दीप जलते हुए ही अच्छे लगते हैं ...
    ओर जलते रहने चाहियें ...

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  6. आस्था और प्रेम का संकेत ...इतनी आसानी से बुझेगा कैसे

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  7. है मैं तो स्थिर हो चलता हूँ
    पर हिल जाता है भूतल
    डगमग होते हैं पाँव मगर
    कर मेरे रहता दीप अटल
    लौ घटती-बढती इसकी
    लेकिन यह दीप नहीं बुझ पाता है
    हौसले की तारीफ के लिए उपयुक्त शब्द छोटे लग रहे !!
    शुभकामनायें !!

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  8. आशा का दीप यूँ ही जलते रहना चाहिए कि कोई भी आँधी बुझा न सके... शुभकामनाएँ.

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  9. गहन अनुभूति सुंदर रचना
    बहुत बहुत बधाई

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  10. बिलकुल यूं ही ये दीप जलता रहेगा, हमें पूरा भरोसा है
    सुन्दर अभिव्यक्ति निहार भाई, अच्छे से बुने हुए शब्द।
    शुभकामनाएं

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  11. कुछ शब्द सुहागन से...

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  12. हलचल में स्थान देने के लिए शुक्रिया यशोदा जी.

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  13. सुंदर और सार्थक

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  14. बहुत उत्तम रचना.
    श्रमजल से सिंचित यह प्रतिपल
    जाज्व्ल्यमान यह दीप अचल
    बाधा के पतंगों से लड़कर
    मुस्काता रहता है अविरल
    पतंगा आता है, मर जाता है
    पर दीप नहीं बुझ पाता है
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ.

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  15. शुभकामनायें इस दीप के लिए ..

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  16. गहन भावों के समेटे सुन्दर पोस्ट.....ये दीप हमेशा यूँ ही जलता रहे ।

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  17. मैं तो स्थिर हो चलता हूँ
    पर हिल जाता है भूतल
    डगमग होते हैं पाँव मगर
    कर मेरे रहता दीप अटल
    लौ घटती-बढती इसकी लेकिन
    यह दीप नहीं बुझ पाता है.... सुंदर रचना

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  18. बहुत सुन्दर ...ये दीप ही जीवन का आधार है

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  19. -सुन्दर रचना ,आशाओं के दीप जलता रहे
    LATEST POST सुहाने सपने
    my post कोल्हू के बैल

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  20. श्रमजल से सिंचित यह प्रतिपल
    जाज्व्ल्यमान यह दीप अचल
    बाधा के पतंगों से लड़कर
    मुस्काता रहता है अविरल.

    सुंदर संवेदनशील और भावपूर्ण प्रस्तुति.

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  21. लौ दीप का अस्थिर कर जाता है
    जब एक हवा का झोंका आता है
    पल भर को तम होता लेकिन
    फिर त्विषा से वो भर जाता है
    इस दीप की है कुछ बात अलग
    यह दीप नहीं बुझ पाता है
    सुन्दर ,मर्मस्पर्शी गीत मित्र बधाई |

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  22. और ये दीप कितनों को यूँ ही जलना सिखा जता है ... अति सुन्दर रचना..

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  23. और ये दीप कितनों को यूँ ही जलना सिखा जता है ... अति सुन्दर रचना..

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  24. बस यही हौसले तो पार लगाते हैं...हमें मंजिल तक पहुंचाते हैं...बहुत सुन्दर और प्रेरक

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  25. नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
    पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!



    श्रमजल से सिंचित यह प्रतिपल
    जाज्ज्वल्यमान यह दीप अचल
    बाधा के पतंगों से लड़कर
    मुस्काता रहता है अविरल
    पतंगा आता है, मर जाता है
    पर दीप नहीं बुझ पाता है

    बहुत सुंदर आदरणीय निहार रंजन जी !
    अच्छा प्रेरक गीत लिखा है आपने ...
    आभार एवं साधुवाद !

    आपको सपरिवार नव संवत्सर २०७० की बहुत बहुत बधाई !
    हार्दिक शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं...

    -राजेन्द्र स्वर्णकार


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  26. No matter how many problems come or go away, the spirit remains intact. Strong message.

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  27. आशा का दीप यूँ ही जलते रहना चाहिए

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