ज़ब्त कर लो
ह्रदय की उफान
बेरोक आँसू
सिसकियों की तान
म्लिष्ट शब्द
तुम्हारे
और ये बधिर कान
व्यर्थ रोदन में
नहीं है त्राण
समय देख प्रियतम !
तचित मन की दाझ
ये बादल बेकार
बस नहीं इनका
दें तुझको तार
अंधियारी रातों से
एकल आवार
सपने! हाँ वही
रहे जिंदा तो हों
साकार
समय देख प्रियतम !
किस बात का मलोल
शिकायतों को छोड़
खुली आँखों से देख
भुग्न-मन की जड़ता तोड़
उत्कलित फूलों पर
सुनो भ्रमरों का शोर
पाओ चिंगारी को
जाते वारि-मिलन की ओर
समय देख प्रियतम !
ताखे की ढिबरी से
अपना काजल बना
पायल बाँध पैरों में
गाढ़ा अलक्त रचा
मन आकुंचन को
असीमित विस्तार दिला
दृप्त मन से
फिर से गीत गा
समय देख प्रियतम !
(निहार रंजन,
सेंट्रल, ६ जून २०१३)
दाझ = जलन
दाझ = जलन
शुभप्रभात
ReplyDeleteज़ब्त कर लो ह्रदय की उफान
कभी-कभी सैलाब आता है
व्यर्थ रोदन में नहीं है त्राण
कुछ अनर्थ नहीं होगा
हार्दिक शुभकामनायें
प्रेम से सराबोर रचना बहुत खुबसूरत ......
ReplyDeleteअसीमित विस्तार दिला
ReplyDeleteदृप्त मन से
फिर से गीत गा...
प्रेम..प्रेम..
बहुत खूब लिखा | आभार
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
ह्रदय-तंत्री झंकृत हो रहे हैं. .. सुन्दर ..अति सुन्दर कृति..
ReplyDeleteह्रदय-तंत्री झंकृत हो रहे हैं. .. सुन्दर ..अति सुन्दर कृति..
ReplyDeleteताखे की ढिबरी से
ReplyDeleteअपना काजल बना
पायल बाँध पैरों में
गाढ़ा अलक्त रचा
मन आकुंचन को
असीमित विस्तार दिला
दृप्त मन से
फिर से गीत गा
समय देख प्रियतम !...
बहुत खूब ... सब कुछ समय पे ही तो निर्भर है ... प्रेम के उन्मुक्त भाव में रचना छंद ...
फिर से गीत गा
ReplyDeleteसमय देख प्रियतम !
bilkul sahi kaha samay ko dekhna jaruri hai ,,,,
bahut sundar, kuchh shabdon ke arth samjhne me kathinai hui.
ReplyDeleteबहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDelete@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
जैसे किसी अभिसारिका को हो आमंत्रण
ReplyDeleteशब्द संयोजन मधुर भाव संयोजन, बड़ी सुन्दर रचना है !
ReplyDeleteबस "दाझ" शब्द का मतलब नहीं समझी !
दाह है क्या ?
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...शब्दों और भावों का अद्भुत संयोजन....
ReplyDeleteताखे की ढिबरी से
ReplyDeleteअपना काजल बना
पायल बाँध पैरों में
गाढ़ा अलक्त रचा
मन आकुंचन को
असीमित विस्तार दिला
सुन्दर रचना
भ्रमर ५
वाह.......अति सुन्दर ......
ReplyDeleteBeautiful. Second and last verse are too good, loved it!
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