सावन भादो की बात नहीं
देखो कैसी नियति इसकी
पानी भी आग लगाता है
उद्योग, वसन व भोजन में
महता इसकी है जीवन में
प्याले में, रस में, दर्पण
में
तन के दूषण के क्षालन में
कभी लवण, कभी यौगिक बन
जल घुल, बचता है जलने से
बचता है लपट में मिलने से
पर मूल रूप में आते ही
दुश्मन, पवन बन जाता है
देखो कैसी नियति इसकी
पानी भी आग लगाता है
अपनी प्रकृति या ‘डेवी’ की
मति
कौन है दोषी, किसको पता
वरना यौगिक बन आज भी यह
जल में मिल, फिरता रहता
ना आता बाहर जलने को
आतुर प्रतिपल मर-मिटने को
प्यासा इतना कि मत पूछो
ज्यों विरह-दग्ध अंधा प्रेमी
अश्रुत कर हित-आहूति को
आहुति में जीवन पाता है
देखो कैसी नियति इसकी
पानी भी आग लगाता है
मृदु धातु है, चमकीला सा
कितनी फैली इसकी यारी
लघु तत्व हो या विषम अवयव
रहता बन धनावेश-धारी
पर रसिया है, रस पीता है
मदिरा (एथेनॉल) से देखो
इसका मिलन
तब तक पीता ही रहता है
जब तक कर ना ले आत्म-क्षरण
है उन्मादी, पर दाता है
देखो कैसी नियति इसकी
पानी भी आग लगाता है
पूछो जाकर 'मृत-सागर' से
ताकत इसकी कितनी होती
पूछो उस तट के पानी से
जिसपर सुंदरियां जा सोती
पूछो धमनी व शिराओं से
क्यों चाहते वो संतुलित लवण
घट-बढ़ जब यह जाता है
संकट में होता है जीवन
जाने इसमें कितनी माया
मन खो जिसमे भरमाता है
देखो कैसी नियति इसकी
पानी भी आग लगाता है
जिसमे जलती सारी दुनिया
(केरोसिन)
उसमे यह शान्ति पाता है
देखो कैसी नियति इसकी
पानी भी आग लगाता है
(निहार रंजन, सेंट्रल, २०
जनवरी २०१४)
तथ्यों से पूर्ण सोडियम कि प्रकृति का पूर्ण विवरण ...... सुन्दर कविता .....
ReplyDeleteबहुत खूब.....!!
ReplyDeleteकैसी इसकी नियति पानी भी आग लगाता है..
क्या बात है एक नया प्रयोग रासायनिक कविता :-)))
ReplyDeleteNa को उपरोक्त पंक्तियों से अच्छा उपहार मिल ही नही सकता
ReplyDeleteसुन्दर रचना।।
उत्कृष्ट भाव संयोजन से सजी बेहतरीन भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसोडियम का प्रयोग और इस पर कविता ?
ReplyDeleteवाकई अच्छा चिंतन है :) !
कल 23/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
सोडियम चिंतन ... अच्छी लगी ये रचना ... नए अंदाज़ की ...
ReplyDeleteगजब बेहतर।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteतथ्य परक
ReplyDeleteशानदार रचना
सारगर्भित ...बहुत गहन ...बहुत अच्छी लगी रचना ....!!
ReplyDeleteगजब !
ReplyDeleteहिंदी में क्षारातु जिसे कहा जाता है !
बहुत ही बढ़िया गहन भावाभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteनसीब अपना अपना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और गहन चिंतन...
ReplyDeleteसोडियम और मनुष्य में काफी समानता है यह राज तो आज जाहिर हुआ ....!!!!
ReplyDeleteशानदार अभिव्यक्ति आदरणीय निहार जी
हूँ...इस चिंतन से अच्छी तरह समझ में आया छुपा हुआ कई दर्शन.. सच! अति सुन्दर चिंतन.. बधाई..
ReplyDeleteबेहद दिलचस्प..आपका जवाब नहीं...
ReplyDeleteChemistry की क्लास याद आ गई। एक गाना तब हुा करता था आग पानी में लगी ....कैसे और हम दूसरी लाइन बदल कर सोडियम गिरा होगा ओय होय ऐसे गाते थे।
ReplyDeleteA poem on a chemical. That's out of box thinking.
ReplyDeleteLoved these lines -
"देखो कैसी नियति इसकी
पानी भी आग लगाता है"