क़द्र रौशनी की
जिन आँखों ने देखे थे
सपने चाँद सितारों के
वो जल-जल कर आज अग्नि
की धार बने हैं
सपने हों या तारें हों, अक्सर
टूटा ही करते हैं
हो क्यों विस्मित जो टूट आज वो अंगार बने हैं
अंगारों का काम है
जलना, जला देना, पर आशाएं
जो दीप जलें उनके तो
रौशन मन संसार बने हैं
संसार का नियम यही कुछ
निश्चित नहीं जग में
किस जीवन की बगिया
में अब तक बहार बने हैं
वो बहार कैसी बहार, बहती जिसमे आँधी गिरते ओले
उस नग्न बाग़ का है
क्या यश, जो बस खार बने हैं
ये खार ही है सच जीवन का, बंधुवर मान लो तुम
जो चला हँसते इसपर जीवन
में, उसकी ही रफ़्तार बने है
रफ़्तार में रहो रत लेकिन,
तुम यह मत भूलो मन
क़द्र रौशनी की हो सबको,
इसीलिए अन्धकार बने हैं
(निहार रंजन, सेंट्रल, १-२६-२०१३)
रफ़्तार में रहो रत लेकिन, तुम यह मत भूलो मन
ReplyDeleteक़द्र रौशनी की हो सबको, इसीलिए अन्धकार बने हैं
...यह तो शाश्वत सच है ....सुन्दर प्रस्तुति ...!
भावो को संजोये रचना......
ReplyDeleteअंगारों का काम है जलना, जला देना, पर आशाएं
ReplyDeleteजो दीप जलें उनके तो रौशन मन संसार बने हैं
बहुत खूब,,,, सुन्दर रचना !
आप की ये रचना शुकरवार यानी 01/02/2013 को पर लिंक की जा रही है...
ReplyDeleteसूचनार्थ
हलचल में इस पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका आभारी हूँ.
Deleteरफ़्तार में रहो रत लेकिन, तुम यह मत भूलो मन
ReplyDeleteक़द्र रौशनी की हो सबको, इसीलिए अन्धकार बने हैं
सार्थक अभिव्यक्ति !!
वाह ....बहुत बढ़िया निहार जी...
ReplyDeleteये खार ही है सच जीवन का, बंधुवर मान लो तुम
जो चला हँसते इसपर जीवन में, उसकी ही रफ़्तार बने हैं
बेहतरीन भाव...
अनु
सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति विवाहित स्त्री होना :दासी होने का परिचायक नहीं आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
ReplyDeleteबहुत अच्छी और कडवी हकीकत ..
ReplyDeleteवो बहार कैसा बहार, बहती जिसमे आँधी गिरते ओले
उस नग्न बाग़ का है क्या यश, जो बस खार बने हैं
इसमें वो बहार कैसी बहार ...मेरे हिसाब से सही रहेगा ...अन्यथा न लें ...
सुधार के लिए आपका धन्यवाद.
Deleteसंसार के नियम, कुछ निश्चित नहीं जग में
ReplyDeleteकिस जीवन की बगिया में, कब तक बहार बने
बहुत उम्दा
ये खार ही है सच जीवन का, बंधुवर मान लो तुम
ReplyDeleteजो चला हँसते इसपर जीवन में, उसकी ही रफ़्तार बने है
....बिल्कुल सच..बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति..
I loved the depth in these lines,
ReplyDelete"सपने हों या तारें हों, अक्सर टूटा ही करते हैं
हो क्यों विस्मित जो टूट आज वो अंगार बने हैं"
A beautiful and a thought provoking poem.
विरोधाभास में ही सत्य छिपा है..
ReplyDeleteGahrai liye shabd aur bhavo ki sundar abhivyakti...
ReplyDeletehttp://ehsaasmere.blogspot.in/
रफ़्तार में रहो रत लेकिन, तुम यह मत भूलो मन
ReplyDeleteक़द्र रौशनी की हो सबको, इसीलिए अन्धकार बने हैं
बहुत ही प्रभावशाली अभिव्यक्ति..
रफ़्तार में रहो रत लेकिन, तुम यह मत भूलो मन
ReplyDeleteक़द्र रौशनी की हो सबको, इसीलिए अन्धकार बने हैं
बहुत ही प्रभावशाली अभिव्यक्ति. वाह . हार्दिक आभार .
रफ़्तार में रहो रत लेकिन, तुम यह मत भूलो मन
ReplyDeleteक़द्र रौशनी की हो सबको, इसीलिए अन्धकार बने हैं
खूब कही..... अर्थपूर्ण भाव
वाह बहुत ही उम्दा।
ReplyDeletesunder bhavpoorn rachna ,nirantar likhiye,jeevan milega anobhootiyo ko
ReplyDeleteरफ़्तार में रहो रत लेकिन, तुम यह मत भूलो मन
ReplyDeleteक़द्र रौशनी की हो सबको, इसीलिए अन्धकार बने हैं...बहुत सुंदर
अंगारों का काम है जलना, जला देना, पर आशाएं
ReplyDeleteजो दीप जलें उनके तो रौशन मन संसार बने हैं ..
सच है आशाओं के दीप जलने पे जीवन रौशन हो जाता है ... बहुत खूब लिखा है ....