Tuesday, July 7, 2015

दो बूदों के बाद


मानसूनी खेतों की हरीतिमा देखकर
जब मेरा मन पुलकित होकर झूम उठता है
तो मैं सोचता हूँकि हमारे किसानों का मन कितना झूमता होगा

वो किसान; जिनके लिए इसी हरियाली में सारी खुशहाली है
जिनके लिए इसी हरियाली में सारा स्वप्न है
जिनके लिए इसी हरियाली में बेटी की शादी है
जिनके लिए इसी हरियाली में बेटे की चिंता है
जिनके लिए इसी  हरियाली में जोरू के मुस्कान का जरिया है
जिनके लिए इसी हरियाली में भूत को विस्मृत कर भविष्य का रास्ता है
और इतनी कठिन मिहनत के बाद दो पल सुस्ताने की मोहलत है
उनके कर-नमन के लिए हमारे लिए दो पल है?

जो चटोरे; साँवरिया चिकन, चलुपा, पैड थाई और बिरयानी के दीवाने हैं
वो शायद ही सोचते हैं कितना पसीना बहाते हैं मिटटी के दीवाने
तो मिलता है हमें अनाज और उदर को शान्ति
मुझे ऐसे दीवानों से
जो मिट्टी के लिए जीते हैं, मिट्टी में जीते है
और अपनी मिट्टी के लिए ही मरते हैं;
बहुत प्रेम है
प्रेम हैबहुत-बहुत


(ओंकारनाथ मिश्र, कानपुर, ४ जुलाई २०१५) 

11 comments:

  1. सारगर्भित ... मिटटी के दीवाने न हों तो शायद जीवन की कल्पना भी फ़िज़ूल है ... जिनका सब कुछ बस हरियाली के छोर पे ख़त्म होता है उनसे प्रेम भर भी कर सकें हम तो इससे आगे वो कुछ नहीं चाहते ...

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्‍दर। इन मिट्टी के दीवानों के कारण ही आधुनिकता की सारी शानो-शौकत, लड़के-लड़कियों की अकड़-ऐंठ, हुल्‍लड़बाजी, प्रेम-नफरत सब है, पर कहां हैं वो संस्‍कार जो सोचे कि मिट्टी के दीवाने भी पूजे और सराहे जाने चाहिए, पसंद किए जाने चाहिए, उनके ऑटोग्राफ लिए जाने चाहिए, उन पर लड़कियां मरी जानी चाहिए, लड़कों का उन जैसा बनने का स्‍वप्‍न हो। .....कहां हैं किसी के भी तो नहीं हैं ऐसे संस्‍कार, जो कृषकों को सम्‍मान दे।

    ReplyDelete
  3. हरियाली में छुपी है खुशहाली...किसानों के श्रम को नमन करती सुंदर कविता...

    ReplyDelete
  4. वाकई , मिटटी से जुड़े से भाव

    ReplyDelete
  5. बारिश की बूंदों के जमीन पर गिरने के बाद मिट्टी की सोंधी खुशबू किसे अच्छी नहीं लगती। मिट्टी की सोंधी-सोंधी खुशबू से तन और मन दोनों महक उठते हैं। मिट्टी की वही खुशबू बिखेरती बहुत सुंदर रचना, जिसमे गरीब किसान-मजदूरों के पसीने की गंध भी है।

    ReplyDelete
  6. असली ख़ुशी तो इसी जमीन में है..इस मिटटी के गीलेपन में है बारिश की फुहारों में है....बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  7. मैं तो हर बार आपके शब्दों में डूब ही जाता हूँ। मिट्टी के प्रति भाव व प्रेम को भला आपसे बेहतर कौन समझ सकता है। थोड़ी देर से आया हूँ. इसके लिए माफ़ी।

    ReplyDelete
  8. Very nice post ...
    Welcome to my blog on my new post.

    ReplyDelete
  9. सत्य वचन। धरा से जुड़े लोग ही हमें हमारे पोषण से जोड़ते हैं।

    ReplyDelete
  10. वाह इससे ज्यादा तारीफ के लिए शब्द ही नहीं हैं,किसानो की मन स्थिति का उम्दा चित्रण
    http://ghoomofiro.blogspot.in/

    ReplyDelete