भीतकारी निशा है यह
किसके मन को भाती रे, साथी
रे
सहर, और कितनी दूर?
इस दीये का क्या करें
नूर जो ना लाती रे, साथी रे
सहर, और कितनी दूर?
अब इसे न तेल दो
जल चुकी है बाती रे, साथी
रे
सहर और कितनी दूर?
उठो, तमिस्रा से कह दो
वज्र सी है छाती रे, साथी
रे
सहर और कितनी दूर ?
स्वप्न है लघु, वृहत जीवन
देख क्या दिखाती रे, साथी
रे
सहर, और कितनी दूर?
तुम बुझो ना रात रहते
है कोई मुस्काती रे, साथी
रे
सहर, और कितनी दूर?
रात्रि में है बंसरी सी
दूर कोई गाती रे, साथी रे
सहर, और कितनी दूर?
कीर्ण किरणें, तेज आभा
देख कब है आती रे, साथी रे
सहर, और कितनी दूर?
नहीं अभिध्या, नीति-भीति
है हमें ललचाती रे, साथी रे
सहर, और कितनी दूर?
(ओंकारनाथ मिश्र, ऑर्चर्ड
स्ट्रीट, २६ जनवरी २०१५)
इधर तो ये आलम है अभी -
ReplyDeleteगुज़र रहे हैं अजब मरहलों से दीदाओ दिल
सहर की आस तो है ज़िंदगी की आस नहीं
मगर दोस्त तुम्हे सहर और ज़िंदगी दोनों मुबारक हो!
बढियां रचना
स्वप्न है लघु, वृहत जीवन
ReplyDeleteदेख क्या दिखाती रे, साथी रे
सहर, और कितनी दूर? ...
जीवन तो लंबा होते हुए भी कितना छोटा है स्वप्न की तरह ... पर शायद ये चूक जाने के बाद समझ आता है ... सहर भी आती है ... जीवन में कई बार छाती है पर अँधेरे में अँधेरा ही सच लगता है पर आशा जरूरी है ... सहर आने को है ...
दिल से लिखी रचना...
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति।
ReplyDeleteदूरियों में कट रहा है सब कुछ, पता नहीं अभी कितनी दूर!! सुन्दर काव्य।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावमय रचना..
ReplyDeleteअद्भुत काव्य रचना
ReplyDeleteउम्मीदों की लौ इतनी तेज हो कि कोई रात-कोई अँधेरा कामयाब होने की जुर्रत न करे.
ReplyDeleteइसकी झंकार कैसी बस गयी मन में हमारे
ReplyDeleteसाथी रे!
वज्र सी जो है छाती तो कोई तमिस्रा से क्यों हारे ?
बहुत ही सुन्दर सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteलब्ज़ो पर पकड़ लाज़वाब हैं।
बातें अपने दिल कीं। एक लाजवाब ब्लाग है। आपकी रचना बहुत ही उत्कृष्ठ है।
ReplyDeleteसुंदर भावमय रचना....लाज़वाब
ReplyDeletewaah !!
ReplyDeleteमंगलकामनाएं आपको !!
सच्ची सी अच्छी रचना
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in
वज्र सी छाती लेकर ही कटेगी रात फिर सहर भी होगी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना।
भीतकारी निशा है पर
ReplyDeleteनिशा के बाद ही है वो उषा निराली, मीत रे
सहर नहीं बहुत दूर !
बहुत सुन्दर रचना !
gahre bhaav ...bahut hi sunder rachna ...!!
ReplyDeleteसुंदर प्रवाहमयी रचना, बधाई...
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