अजी खुल के इश्तेहार
कीजिये
कह डालिए सबसे माँ
आपके लिए क्या है
तब तो पता चले सबको
कितना प्यार है माँ
से
फूलों का गुलदस्ता
भेजिए
कार्ड भेजिए, सन्देश
भेजिए
उपहार भेजिए, उनका
पसंदीदा आहार भेजिए
और सबको विश्वास दिला
दीजिये
बहुत प्यार है आपको
अपनी माँ से
डाल दीजिये अपने अपने
किस्से
सोशल नेटवर्किंग के
ठिकानों पर
कह दीजिये दूध पिलाने
के लिए शुक्रिया
गोद में झुलाने के
लिए शुक्रिया
नहलाने के लिए
शुक्रिया
लोरी सुनाने के लिए
शक्रिया
मेला घुमाने के लिए
शुक्रिया
आखिर माँ को भान हो
आप कृतघ्न बच्चे नहीं
हैं
माँ धन्य हो जायेगी
आपकी कृतज्ञता जानकर
फूलों का गुलदस्ता
पाकर
आश्वस्त होकर यह जानकर
कि वो आपकी
जीवनदायिनी है
और आपको उनसे प्यार
है
और साथ में कह जायेगी
बहुत बहुत शुक्रिया
मुझे तुमपर बहुत गर्व
है
वितृष्णा होती है
मुझे ऐसे इश्तेहारों
से
क्योंकि मैंने देखे
हैं
ऐसे इश्तेहार करने
वालों की माँ को
अस्पताल में अकेले दम
तोड़ते हुए
उनकी अस्थियों को
बरसों से
अटलांटिक महासागर से
मिलन को तरसते हुए
उस झूठे इश्तेहार को बेपर्दा
होते हुए
इसलिए ऐ पछिया पवन!
मंद हो जाओ
रहने दो मेरी माँ को
अनभिज्ञ मेरी
कृतज्ञता से
पढने दो उसे रामायण
माँगने दो मेरे लिए
दुआएं उम्र भर
रहने तो उसे उपहारहीन
सन्देश विहीन
इस बात से अनजान
कि मेरे आधे गुणसूत्र
उसी के हैं
और मेरा अस्तित्व उसी
है !
(निहार रंजन,सेंट्रल, ११ मई २०१३)
बहुत सुंदर, यह सबसे सच्चा उपहार है माँ को।
ReplyDeleteArthpoorn Baat
ReplyDeleteकई लोगों के कडुवे सच को लिखा है ...
ReplyDeleteपर मा वैसे इन सब बातों से बेखबर रहती है ... वो फिर भी प्रेम करती है ...
ढोल पीटने की आदत से लाचार हैं हम .....बढ़िया लिखा है आपने...
ReplyDeleteआधे क्यों पूर्ण गुणसूत्र उसी के हैं।
ReplyDeleteविकेश जी, इशारा हमारे जीवन की तरफ है जब पहली कोशिका का निर्माण होता है.
Deleteमाँ तो असीमित होती हैउन पर कोई लिख ही नहीं पायेगा ये तो उनके लिए छोटा सा प्यार ही है न !!
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी वर्णन. खुलकर माँ के प्रति प्रेम का प्रदर्शन कीजिये, क्योंकि वे धन्य हैं जिनके माँ है.
ReplyDeletewaah bahut acchi abhiwayakti ........
ReplyDeleteनि:शब्द...
ReplyDeleteएक कड़वा सच लिखा है आपने
ReplyDeleteमाँ तो फिर भी संतान के सुख की ही सोचती है सदा ...
बहुत सुन्दर
हर माँ को प्रणाम !
साभार !
बहुत सुन्दर और गहन..........Haits off
ReplyDeleteमाँ जीवन का सृजन है
ReplyDeleteसहजता से कही माँ की गहरी बात
सुंदर अनुभूति
बधाई
आग्रह है पढ़ें "अम्मा"
http://jyoti-khare.blogspot.in
वितृष्णा होती है
ReplyDeleteमुझे ऐसे इश्तेहारों से
क्योंकि मैंने देखे हैं
ऐसे इश्तेहार करने वालों की माँ को
अस्पताल में अकेले दम तोड़ते हुए
...एक कटु सत्य...लेकिन माँ फिर भी माँ है और दुआ करती है उनके लिए..बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
माँ ये सब नहींसोचती
ReplyDeleteलेकिन एक सच ही उजागर किया आपने .........सुन्दर रचना