Saturday, December 15, 2012

सच्चा प्यार


प्यार ही हैं दोनों
एक प्यार जिसमे
दो आँखें मिलती  हैं
दो दिल मिलते हैं, धड़कते हैं
नींद भी लुटती है और चैन भी
जीने मरने की कसमें होती हैं
और प्यार का यह दूसरा  रूप
जिसमे न दिल है, ना जान है
ना वासना है, ना लोभ
ना चुपके से मिलने की चाह
ना वादे, ना धडकते दिल
क्योंकि इस प्यार का केंद्र
दिल में नहीं है

क्योंकि इस प्यार का उद्भव
आँखें मिलाने से नहीं होता
इस प्यार का विस्तार
द्विपक्षी संवाद से नहीं होता
ये प्यार एकपक्षीय है
बिलकुल जूनून की तरह
एक सजीव का निर्जीव से प्यार
एक दृश्य का अदृश्य से प्यार
जिसकी खबरें ना मुंडेर पर कौवा लाता है
ना ही बागों में कोयल की गूँज

बस एक धुन सी रहती है सदैव
जैसे एक चित्रकार को अपनी कृति में
रंग भरने का, जीवन भरने का जूनून
ये भी एक प्रेम है, अपनी भक्ति से 
अपनी कला से, अपनी कूची से, अपने भाव से
जैसे मीरा को अप्राप्य श्याम के लिए
नींद गवाने की, खेलने, छेड़ने की चाह

यह प्यार बहुत अनूठा होता है
क्योंकि इसमें इंसानी प्यार की तरह
ना लोभ है , ना स्वार्थ
ना दंभ है, ना हठ
सच्चे प्यार की अजब दास्ताँ होती है
वो प्यार जिसका केंद्रबिंदु दिल नहीं
इंसान की आत्मा होती है
क्योंकि सच्चे प्यार को चाहिए
स्वार्थहीन, सीमाओं से रहित आकाश 
एक स्वछन्द एहसास
और वो बसता है आत्मा में
क्योंकि आत्मा उन्मुक्त है

कुछ पता नहीं चलता कब, कैसे
सच्चा प्यार हो जाए
किसी ख़याल से, किसी परछाई से
किसी रंग से, किसी हवा से
किसी पत्थर से, किसी मूरत से
किसी लक्ष्य से, किसी ज्ञान से  
घंटे की ध्वनि से, उसकी आवृति से
किसी बिछड़े प्रियतम की आकृति से

(निहार रंजन, सेंट्रल, १५-१२-२०१२)

23 comments:

  1. एक स्वछन्द एहसास
    और वो बसता है आत्मा में
    क्योंकि आत्मा उन्मुक्त है
    अनुपम भाव संयोजन ... उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति

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  2. गहन और बहुत सुंदर रचना .....भाव बहुत सुंदर हैं ...
    बधाई एवं शुभकामनायें ....

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  3. बहुत बढ़िया सर!


    सादर

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  4. अलौकिक प्रेम को कला के साथ गूंथते हुए सुन्दर कविता ।

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  5. बेहतर है कि किसी अदृश्य से ही प्यार हो :):) इंसान तो बहुत अपेक्षाएँ लगा बैठता है प्यार में....

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  6. गहन भाव लिए अति उत्तम रचना...
    बेहतरीन अभिव्यक्ति...
    :-)

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  7. "सच्चे प्यार को चाहिए
    स्वार्थहीन, सीमाओं से रहित
    एक स्वछन्द एहसास"

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  8. शुक्रिया. मैंने अपने ब्लॉग को जोड़ लिया है.

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  9. दिनांक 17/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  10. पोस्ट शामिल करने के आपका आभारी हूँ यशवंत भाई.

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  11. गहरे भावो की अभिवयक्ति......

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  12. उत्तम रचना.गहन भाव लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति.... कुछ पता नहीं चलता कब, कैसे
    सच्चा प्यार हो जाए
    किसी ख़याल से, किसी परछाई से
    किसी रंग से, किसी हवा से
    किसी पत्थर से, किसी मूरत से
    किसी लक्ष्य से, किसी ज्ञान से
    घंटे के ध्वनि से, उसकी आवृति से
    किसी बिछड़े प्रियतम की आकृति से

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  13. ये भी एक प्रेम है, अपनी भक्ति से
    अपनी कला से, अपनी कूची से, अपने भाव से
    जैसे मीरा को अप्राप्य श्याम के लिए
    नींद गवाने की, खेलने, छेड़ने की चाह...

    क्योंकि सच्चे प्यार को चाहिए
    स्वार्थहीन, सीमाओं से रहित आकाश

    बहुत सुन्दर भावों से सजी रचनाएँ

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  14. इस्किये ही इसे प्यार कहते हैं ... बस किसी से कभी भी हो जाता है ..क्यों ... मत पूछो ...

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  15. प्‍यार तो कि‍सी से भी हो जाता है....कभी भी..सुंदर रचना

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  16. प्यार के अनन्यरूप हैं बहुत सुन्दर व्याख्या

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  17. प्यार के लिए कोई बंधन मायने नहीं रखता...सबसे ऊपर प्यार बस प्यार....

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  18. अद्भुत रंजन जी ...प्यारी लगी आपकी व्याख्या ...........:)

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  19. सुन्दर...बहुत सुन्दर भाव लिए रचना...

    अनु

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  20. बहुत ही सुंदर रचना है

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  21. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  22. Bahut khoob ras aayi mujhe ye aapki pyar ki parivasha...

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  23. विरल अभिव्यक्ति.....

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