इस कविता को पोस्ट करने से पहले यह बता दूँ की अपनी मिट्टी के कण-कण से मुझे बेहद प्यार है. यह देख कर बहुत अच्छा अनुभव होता है कि देश विकासरत है. हाँ कुछ ऐसी समस्याएँ जरूर हैं जिन्हें जिनपर सबको ध्यान देने की ज़रुरत है ताकि हर मायने में अपने देश को महान कहा जा सके. जो बातें अपने देश के बारे में महान हैं उस पर सवाल नहीं है यहाँ. ना ही वो कम होने वाले हैं. सवाल है यहाँ उन बातों पर जिनके बारे कदम उठाने की ज़रुरत है.
कैसे कह दूँ भारत महान?
जहाँ आज भी मर जाती बेटी
जीवन में आने से पहले
होती कलंकित वो जननी
कुलदीपक जो ना जन ले
हर क्षण वह फिर जलती है
क्या है मुझे इसका अभिमान?
कैसे कह दूँ भारत महान?
जहाँ आज भी वर्ण-विभेद
एक सामाजिक रोग है
छुआछूत का दंश सह रहे
अब भी करोड़ो लोग हैं
जब तक ना हो इन रोगों का
एक व्यापक समाधान
कैसे कह दूँ भारत महान?
पिसता अफसर बेईमानों से
हो जाती दफ़न जिनकी
पीड़ा
कुछ अखबारी हंगामों में
और जंग कानूनी लड़ते
हो जाते वो निष्प्राण
कैसे कह दूँ भारत महान?
जहां है अब भी अबला नारी
जिसका शोभा है लाचारी
धर्म, अशिक्षा से बंधीं
अब भी कैद है वो बेचारी
वो बिना बताये दर्द-ए-दिल
मर जाती सीकर जुबान
कैसे कह दूँ भारत महान?
जहाँ आज भी लड़ते है कुछ लोग
अपनी मज़हब की शान पर
और रह रह सुलगा देते
हैं
घर एक-दूसरे का जान कर
फिर बहती है खून की नदियाँ
जिसमे आखिर मरता है “इंसान”
कैसे कह दूँ भारत महान?
जहाँ आज भी स्तनों का उभार
लड़की को औरत बनाती है
और गुड़िया के संग संग
एक बच्चा भी दे जाती है
फिर साल बीसवां लगते ही
विधवा होकर होता उनका बलिदान*
कैसे कह दूँ भारत महान?
-निहार रंजन (१५-७-२०१२)
Photo Courtesy: http://www.punjabigraphics.com/pg/india/page/13/
हमारा भारत महान है, भले ही हमारे समाज में कुछ बुराइयां आ गयी हो, इस से हमारे देश की महानता कम नहीं हो जाती है। हर बुराई दूर की जा सकती है, कमियां किस समाज में नहीं है। जो भारत में है वो शायद कहीं नहीं है। भारत कैसे महान है, 7 अक्तुबर को मेरे ब्लौग पर पढ़ना http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
ReplyDeleteकुलदीप सिंह जी, आपके ब्लॉग का इंतज़ार रहेगा. मेरे कहने का अभिप्राय यह नहीं था कि इन बातों कि वजह से अपना गौरवशाली अतीत मिट जाएगा. लेकिन जब तक समाज में ये रोग रहेंगे, हम उसे आदर्श समाज का दर्जा नहीं दे सकते. हाँ हर समाज में दिक्कतें होती है और ये दुनिया में हर जगह किसी ना किसी रूप में विद्यमान हैं. लेकिन जहाँ भी कुछ इस तरह के रोग है उस समाज को मैं महान नहीं मानूँगा. अब महान कि परिभाषा क्या है उस पर अपनी व्यक्तिगत राय हो सकती है.
Deleteआखिर मैं इतना कह दूँ कि मुझे भी अपनी मिट्टी के सूक्ष्मतम अणु से भी उतना ही प्यार है जितना किसी और सच्चे देशवासी को.
भाव मन छू गए ...
ReplyDeleteसच ही है ...एक जागृति की अत्यंत आवश्यकता है ...हमारे देश मे ...!!
हमारे ही तथाकथित महान कहे जाने वाले परिवेश की व्यथा कथा ...दुखद .... पर कटु सत्य .....
ReplyDeletehttp://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/2.html
ReplyDeleteपोस्ट शामिल करने के लिए शुक्रिया.
Deleteकटु सत्य को कहती प्रभावशाली रचना
ReplyDeleteविचारणीय रचना.....
ReplyDeleteकड़वा है मगर सच तो यही है....
सार्थक रचना.
सादर
अनु
शुक्रिया संगीता जी नयी पुरानी हलचल में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए.
ReplyDeleteजब संतान स्वार्थी निकले और माँ की उपेक्षा करे तो और क्या होगा?
ReplyDeletebahut hi marmik rachna jo katu saty ko ujagar karti
ReplyDeleteवाह बहुत खूबसूरती से नारी के पक्ष में लिखी सुन्दर और सशक्त रचना बहुत सुन्दर विवरण |
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