Tuesday, February 9, 2016

प्रश्न

बाइबल से निकले हुए भाव थे शायद-
“गॉड कैननॉट गिव यू मोर दैन यू कैन टेक”
कर्ण-विवरों में आशा की ध्वनियाँ
कोठे पर नाचनेवाली की पायल
अक्सर, अच्छी लगती है- बहुत अच्छी
और साथ ही यह भी-
“व्हाटऐवर हैप्पेंस, हैप्पेंस फॉर द बेस्ट”
जुमले नहीं है ये
सिद्धहस्तों के सूत्र हैं-जीवन सूत्र

लेकिन मेरे ही पड़ोस में रहती है-
श्रीमती(?) महलखा चंदा
बर्तन धोती है, बच्चों के पेट भरती है
कितने नालायक बच्चे है
जबसे स्कूल छूटा .........
बस आवारागर्दी
चाहे गर्मी हो या सर्दी
दो बरस से जब
इनके पिता दंगे की गाल आये
और महलखा उतर आई चौका-बर्तन करने 

सिद्धहस्तों के सूत्र हैं-जीवन सूत्र
“व्हाटऐवर हैप्पेंस, हैप्पेंस फॉर द बेस्ट”
पूछ लूँ ?

(ओंकारनाथ मिश्र, नॉएडा, ९ फ़रवरी २०१६ )


9 comments:

  1. वाह बहुत सुंदर कविता .... वैसे यह सच है व्हाटऐवर हैप्पेंस, हैप्पेंस फॉर द बेस्ट....... परिणाम तुरंत समझ में नहीं आता या कभी कभी इतनी देर ह जाती है कि दोनों के अंतरसंबंध स्थापित नहीं हो पाते ............ नोएडा आ गए क्या ?

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  2. कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो जीवन में अबूझ रहते हैं...

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  3. पहेली का अनसुलझा हिस्‍सा-सा।

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  4. ऐसा सोचने के लिए तो अच्छा है और जिसके साथ अच्छा हो उनकेलिए भी अच्छा है ... पर जिनकी किस्मत की रेखा ही न हो .... उनके लिए ऐसा बोलना कडवी गोली से कम नहीं है ... कमाल की रचना है ...

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  5. जुमले नहीं है ये
    सिद्धहस्तों के सूत्र हैं-जीवन सूत्र
    एहसास हो रहा है. कुछ विध्वंस तो कुछ निर्माण चलता रहता है. प्रश्न तो हमेशा रहेगा..

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  6. सार्थक व प्रशंसनीय रचना...
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  7. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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