प्यार की वैज्ञानिक कविता
स्मृति के चुम्बक पर
बारहा लौट आते हो
लौह दिल के मालिक
यास दिए जाते हो
मन नाभिक के पास
इलेक्ट्रान बने घूमते
हो
आतंरिक कक्षा में बने
ना समीप ना दूर होते
हो
क्यों मेरे ह्रदय
कक्ष में
असीर हुए जाते हो
लौह दिल के मालिक
त्रास दिए जाते हो
अम्ल दग्ध मैं हुई
हूँ
क्षार क्षरित मैं
जियी हूँ
लवण की है चाह मुझको
लावण्यता समेटी खड़ी
हूँ
मन में सान्द्र गंधकाम्ली
तासीर दिए जाते हो
लौह दिल के मालिक
प्यास दिए जाते हो
कब सुनोगे बाबूजी! संभालो
जरा प्रेम-टीलोमर बचालो
प्यार के इस कोशिका
को
एक नया जीवन दिला दो
इस बिरहन राधिके को
पीर दिए जाते हो
लौह दिल के मालिक
रास किये जाते हो
(निहार रंजन,
सेंट्रल, १२ मार्च २०१३)
नाभिक = Nucleus
आतंरिक कक्षा = Core shell
सान्द्र = Concentrated
गंधकाम्ल = Sulfuric acid ( Besides being an acid,
it is also a strong dehydrant).
टीलोमर = A repeat sequence of DNA bases
found at the chromosomal ends. It gets shortened after every cell division. A
cell dies when the telomere gets really short.
कोशिका = cell.
शुभप्रभात :))
ReplyDeleteभाई मेरे मैं ठहरी आर्ट की वर्षो पहले की छात्रा
बूढी बुद्धि में ये समाई
कि
कला+विज्ञान का मिलन लुभाई ....
शुभकामनायें !!
पूर्णतः सहमत हूँ. कला और विज्ञान का मिलन वाकई लुभावन है :)
Deleteबहुत सुंदर प्रयास..नया सा
ReplyDeleteजेहन के नाभिकीय कक्ष में जिन शब्दों की कोशिका टूट रही है ...अर्ज कर रही है .. संभलने की ... उसकी तासीर बड़ी जानलेवा होती है ....और अंत में ...पीर..पीर..पीर ....
ReplyDeleteकला और विज्ञान की सर्वोतम प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteवैज्ञानिक शब्दों को सुंदर भावार्थ से यूँ जोड़ना ....बहुत बढ़िया
ReplyDeletewaah! lazwaab likha hai aap ne,bdhai...
ReplyDeleteयह बढ़िया रही ..
ReplyDeleteबधाई !
विज्ञान की भाषा में प्रेम .... लाजवाब !
ReplyDeleteक्या बात है विज्ञानं और काव्य का संगम।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (17-03-2013) के चर्चा मंच 1186 पर भी होगी. सूचनार्थ
ReplyDeleteचर्चा-मंच पर शामिल करने के लिए धन्यवाद अरुण भाई.
Deleteरसधार बहाती हुई ये सूक्ष्म रासयनिक प्रतिक्रया ..बस तापक्रम को संभाले हुए हैं हम..
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ReplyDeleteकेमेस्ट्री और साहित्य का सुंदर संयोग, इससे कविता की खूबसूरती बहुत खिल गई है। अरसे पहले देखी एक फिल्म याद आती है धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की, धर्मेन्द्र संस्कृत के प्रोफेसर का एक्ट कर रहे थे और हेमा केमेस्ट्री के प्रोफेसर की, उनका नाम स्टूडेंट्स ने कार्बन डाई आक्साइड रखा था। इधर कुमारसंभव चलता था उधर यौगिक का बनना।
नये प्रयोग के लिए हार्दिक बधाई
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रयास ...लुभावना ...
ReplyDeleteअम्ल दग्ध मैं हुई हूँ
ReplyDeleteक्षार क्षरित मैं जियी हूँ
लवण की है चाह मुझको
लावण्यता समेटी खड़ी हूँ.
प्रेम के रसायनों में रंगी प्रेम के वैज्ञानिक द्रष्टिकोण को सामने रखती कविता.
भाई निहार रंजन ,केमिस्ट्री हमने भी पढ़ी है और लैब में कपडे जला लिया था ये पता होता की एसिड में प्यार छुपा है तो शायद पी लेते ,अच्छा हुआ उस समय आपने नहीं बताया. लेकिन कविता आपकी बढ़िया है .
ReplyDeletelatest postऋण उतार!
अम्ल दग्ध मैं हुई हूँ
ReplyDeleteक्षार क्षरित मैं जियी हूँ
लवण की है चाह मुझको
लावण्यता समेटी खड़ी हूँ
...वाह! रसायन शास्त्र के शब्दों का प्रेम की भावनाओं में बहुत सुन्दर संयोजन...
अनोखा ही प्रयोग, मन के लिटमस को लाल कर गया, कमाल कर गया...
ReplyDeleteकुछ हटकर पढ़ने को मिला... विज्ञान और साहित्य को साथ ले कर की गयी अच्छी कल्पना.
ReplyDeleteविज्ञान से हकीकत की दुनिया का प्रेम ...
ReplyDeleteवैसे प्रेम होने पर एक खास रसायन शरीर में उत्पन होता है ... ऐसा मैंने पढ़ा है कई जगह ...
अच्छी कल्पना ...
This one is very interesting, enjoyed reading it. Thanks for the meaning for words otherwise I have to google it.
ReplyDeleteबहुत सुद्नर आभार आपने अपने अंतर मन भाव को शब्दों में ढाल दिया
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
एक शाम तो उधार दो
आप भी मेरे ब्लाग का अनुसरण करे
रसायन की क्रिया प्रतिक्रिया, सुन्दर भावयुक्त प्रक्रिया!!
ReplyDeleteवाह! विज्ञानं के द्वारा दिल की बातें, बहुत मजेदार और असरदार भी.
ReplyDeleteअम्ल दग्ध मैं हुई हूँ
क्षार क्षरित मैं जियी हूँ
लवण की है चाह मुझको
लावण्यता समेटी खड़ी हूँ
मन में सान्द्र गंधकाम्ली
तासीर दिए जाते हो
लौह दिल के मालिक
प्यास दिए जाते हो.
बहुत सुंदरता से कही गयी बात.
Bhai Ranjan ji , sundar pryog .....anand aa gya ....sadar abhar.
ReplyDeleteप्रेम ..एक रासायनिक दृष्टि ...बहुत रोचक :) ....
ReplyDeleteइसे विज्ञान कविता कहा जाय न ? :-)
ReplyDeleteसहमत हूँ. बदलाव कर दिया है. भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान.. तीनो ही रंग हैं. हम कार्बनिक रसायनशास्त्री हर चीज में में रसायन देखते हैं. शायद वही पूर्वाग्रह :)
Deleteआपके द्वारा भेजी गई कविता अति सुंदर जिसमें फिजिक्स केमेस्ट्री और बायो तीनों का मेल देखने को मिला
Deleteबहुत दिनों पहले केमिस्ट्रीperएक कविता जिसके बोल :टेस्ट ट्यूब सी: यदि किसी के पास हो कृपया शेयर करने का कष्ट करें
ऐसा माना जाता है कि रसायन विज्ञान का विकास सर्वप्रथम मिस्र देश में हुआ था। प्राचीन काल में मिस्रवासी काँच, साबुन, रंग तथा अन्य रासायनिक पदार्थों के बनाने की विधियाँ जानते थे तथा इस काल में मिस्र को केमिया कहा जाता था।
ReplyDeleteजीव विज्ञान (Biology) प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। ऐसा माना जाता है कि रसायन विज्ञान का विकास सर्वप्रथम मिस्र देश में हुआ था। प्राचीन काल में मिस्रवासी काँच, साबुन, रंग तथा अन्य रासायनिक पदार्थों के बनाने की विधियाँ जानते थे तथा इस काल में मिस्र को केमिया कहा जाता था।
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