Sunday, August 23, 2020

फिर से बोसा

 कोसा?? तो ले फिर से बोसा 


जब हाथ धरा तो फिर ये क्यों

एक चंचल लाल की चाल ही है

माना ये  सच, बदहाल सही  

पर बदहाली की यही ख़ुशी 

कितने चितवन और तृष्ण दृगों में देखो 

मिलती है या रूकती रूदाद सही 


कोसा?? तो ले फिर से बोसा 

 

(ओंकारनाथ मिश्र , वृन्दावन, २४ अगस्त २०२०) 


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