मेरे गाँव में देवर और भाभी के बीच फाग-लड़ाई की साल भर प्रतीक्षा होती है. ये संवाद उसी पृष्टभूमि में है. सभी मित्रों को होली की हार्दिक शुभकामनायें.
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मधुपुर = मथुरा
अगले बरस
बोल-बोल मो से देवर
अबरबा !
फागुन बीता-बीता जाए
तोरी कोई खबर ना आई
का संग खेलूँ होरी
मैं अब
का संग करू मैं
फाग-लड़ाई
बोल-बोल मो से देवर
अबरबा !
आज बता दे नाम तू
उसका
जो रोके है मो से
तुझको
कौन फिरंगी प्रीत के
डोरे
फेंक के तुझको फांस ले
जाई
बोल बोल मो से देवर
अबरबा !
हम देते ललकारा तो से
अपनी सारी बहिनन के
संग
देखें कौन मधुपुर से
आके
तोहे चीर-हरण से बचाई
बोल-बोल मो से देवर
अबरबा !
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का मैं बोलूं तों से
भौजी
अपने अंतर्मन की
प्यास
साल चौदहवां बीत रहा
है
लगता है जैसे एक
वनवास
ना मुझपे है फिरंगी
की डोरी
है सच पर, है एक मुझे
प्रीत
जिसके लिए मैंने साल गुज़ारे
कैसे छोडूं अधूरा वो
गीत
लेते है ललकारा हम सब
लेकर कुछ “कैफ़ी” के गुण
अगले बरस आपके नैहर
में
“इश्क बाटेंगे, जितना
है हुस्न”
(निहार रंजन , सेंट्रल, २२ मार्च २०१३ )
* मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी जब १९९० के दशक में करांची गए थे तो वहां के लोगों से उन्होंने कहा था
" ये मत समझना हम खाली हाथ आये हैं
हैं जितना हुस्न इस बस्ती में हम उतना इश्क लाये हैं "
अबरबा = आवारा
भौजी = भाभी
बहुत सुन्दर होली गीत.
ReplyDeleteका मैं बोलूं तों से भौजी
अपने अंतर्मन की प्यास
साल चौदहवां बीत रहा है
लगता है जैसे एक वनवास
बहुत प्यारा आंचलिक खुशबू से सराबोर.
बधाई.
सादर
नीरज 'नीर'
बहुत ही सुन्दर होली गीत,आभार.
ReplyDeleteहलचल में शामिल करने के लिए आभार.
ReplyDeleteसामयिक सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहोली की बहुत-बहुत शुभकामनायें !!
वाह फागुन की मस्ती और होली का रंग.....बहुत सुन्दर निहार भाई।
ReplyDeleteचर्चा मंच पर शामिल करने के लिए शुक्रिया.
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति इन अनूठी भावनाओं की, निहार भाई। और दोनों पक्षों की तरफ से वाकई इतना संतुलित लिख पाना बहुत प्रशंसनीय है। होली की अग्रिम शुभकामनाएं!! :)
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर फागुनी रचना...
ReplyDeleteबेहतरीन....सुन्दर....
होली की अग्रिम शुभकामनाए
:-)
मो से बोल तू बोल न... ओ सुन यार सुन..
ReplyDeleteबढ़िया होली गीत ...
ReplyDeleteआंचलिक भाषा में बहुत सुन्दर होली रचना.
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वाह ... बहुत ही लाजवाब संवाद ...
ReplyDeleteओर कैफी का कलाम तो दिल में उतर गया ...
कितना प्यार भरा रिश्ता होता है देवर-भाभी का...
ReplyDeleteसुंदर रचना!
और कैफ़ी साहब का क़लाम तो...क्या कहने!
~सादर!!!
सुन्दर होली गीत,दिल में उतरना ही थ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteपधारें " चाँद से करती हूँ बातें "
आंचलिक खुशबू से भरा होली गीत
ReplyDeleteबहुत सुंदर निहार जी, आपके इस गीत में प्रेम का रंग और लोक जीवन की खुशबू छिपी है।
ReplyDeleteभीने भीने प्यार की खुशबू से लबरेज होली गीत
ReplyDeleteलोकसंवेदना और लोकभाषा का कोई जबाब नहीं |सुन्दर पोस्ट |होली की शुभकामनायें |
ReplyDeleteIt's one of the most beautiful reads. The couplet of Kaifi Azmi is beautiful and so is your poem. Holi is a beautiful festival and the joys of our tradition is unparalleled. Wish you a colorful Holi.
ReplyDeleteदेवर-भाभी के मधुर रिश्तों का खूबसूरत गीत!!
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ
बहुत सुन्दर...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएं!
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ReplyDeleteबहुत खूब .सुन्दर प्रस्तुति. आपको होली की हार्दिक शुभ कामना .
ना शिकबा अब रहे कोई ,ना ही दुश्मनी पनपे गले अब मिल भी जाओं सब, कि आयी आज होली है
प्रियतम क्या प्रिय क्या अब सभी रंगने को आतुर हैं हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है .
सुन्दर गीत..
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