Friday, August 9, 2013

पैमाना और दायरा


समय तो समय है
पैमाना ठहरा पैमाना
लेकिन समय का पैमाना
अगर जाता है बदल
तो परिवर्तन बनता अपरिवर्तन
खो जाती है किलकारी
गुम होता है क्रंदन
बढ़ जाती है धूप
घट जाती है छाँव
गुम हो जाता सब कुछ
चाहे शहर हो या गाँव

छह घंटे के पैमाने में
दिखता परिवर्तन ही परिवर्तन  
सुबह से दोपहर हो
या दोपहर से शाम से रात
पल-पल बदलती धूप, हवा 
पैमाना गर बदले छः हजार साल में
तो लगता है कुछ नहीं बदला
वही चाँद उगा वही सूरज निकला
वही लोग हुए, वही प्रेम और द्वेष
एक दूसरे के संहार की अभिलाषा
अभी तक सबमे शेष   

हाँ जेठ से शिशिर तक होती दौड़  
चन्द्र दागी और अंशुल मिहिर सिरमौर
मगर हज़ार सालों में ये भी कुछ नया नहीं
और छह अरब सालों के पैमाने से  
पृथ्वी पर दिखता परिवर्तन ही परिवर्तन
ये पहाड़, ये नदियाँ, मानव जीवन
सतत परिवर्तन का कराते दर्शन
जो पैमाने का बदलता दायरा
कितना बदल जाता है माजरा !     


(निहार रंजन, सेंट्रल , ९ अगस्त २०१३) 

16 comments:

  1. परिवर्तन तो संसार का नियम है.....
    हाँ इतना जरुर है की परिवर्तन का पैमाना हर चीजों का अलग होता है..

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  2. भावनाओं का कोई पैमाना नहीं होता |सतत परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है !बिना बदलाव के अनुभूति नीरस होगी |ईर्ष्या और द्वेष ईश्वर ने मानव को अपने से पृथक करने हेतु दिये हैं |प्रत्येक मानव में ये होते ही हैं |जैसे जैसे हम इन पर विजय पाते जाते हैं ,ईश्वर के करीब होते जाते हैं |

    जो पैमाने का बदलता दायरा
    कितना बदल जाता है माजरा !

    सत्य और सुंदर ...!!

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  3. आपकी यह रचना आज शनिवार (10-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  4. बहुत सुन्दर...परिवर्तन पढ़ आनंद आया..!!

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  5. पैमाने का बदलता दायरा तो कितना अच्छा होता. लेकिन परिवर्तन तो प्रकृति के ही वश में है और प्रकृति के परिवर्तन का अपना ही नियम है, शायद जो होता है अच्छा ही होता है , कभी कभी हम प्रकृति के परिवर्तन को समझने में नाकाम रह जाते हैं .. राग द्वेष भी मनुष्यों में प्रकृति ने ही भरा है ताकि हम अनवरत कोशिश करते रह सकें इनमे परिवर्तन करने की
    हाँ जेठ से शिशिर तक होती दौड़
    चन्द्र दागी और अंशुल मिहिर सिरमौर
    ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी

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  6. परिवर्तन ही जीवन का नियम है.....सुंदर प्रस्तुति

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  7. बहुत सुन्दर...आनंद आया..

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  8. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (11-08-2013) के चर्चा मंच 1334 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  9. दायरा ही सब कुछ है ... पैमाना तो वही कहेगा जो दायरे में है ...
    परिवर्तन के नियम को व्यापकता देती रचना ...

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  10. अलग अलग पैमाने

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  11. समय के पैमाने को खूब रेखांकित किया है!

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  12. हाँ! वैश्विक तापमान भी ज्यादा बढ़कर अपने पैमाना से बाहर निकल आया है ..सुन्दर रचना..

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