कुछ बोलो तुम
इस मौन को त्यजकर
अपने मुख को खोलो तुम
कुछ बोलो तुम
डरो मत तुम
गर कथ्य विवादित हो
ठहरो मत तुम
गर वाद पराजित हो
हर युग में होते आये हैं
मुंह पर जाबी देने वाले
तू छोड़ सच पर, बोल अभी
जब होना हो वो साबित हो
अंतर जिधर जाने कहे
उस मार्ग के अध्वग हो लो तुम
कुछ बोलो तुम
हाँ माना मैंने
चक्षु दोष से बाधित हो
हाँ माना मैंने
समयचक्र से शापित हो
पर ध्यान रहे वो वनित हर्ष
जानता नहीं शापित-बाधित
वो नहीं जानेगा क्यों तुम
प्रीणित या अवसादित हो
कर आज मनन
सच के सलीब को ढो लो तुम
कुछ बोलो तुम
हों शब्द तुम्हारे स्नेह तिमित
या ज्वाला से प्लावित हो
उनको आने दो यथारूप
झूठ से ना वो शासित हो
हो निघ्न निकृति सहते सहते
उर-ज्वाला में तपते तपते
जीवन मरण बन जाएगा
ग्लानि से सर जब नामित हो
चाहे हो जाओ एकाकी
पर संग हवा न डोलो तुम
कुछ बोलो तुम
(निहार रंजन, सेंट्रल, १८ मई २०१३)
tejaswi aahwaan!
ReplyDeleteदिल की बात हर हालत में बहार आनी ही चाहिए.. कुछ तो बोलो तुम बहुत बेजोड़ अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteबहुत सशक्त रचना ....
ReplyDeleteआत्मबोध जीवन नैया पार लगा देता है ....!!
सतत प्रयास चलता रहे बस ....
बहुत प्रभावशाली अभिव्यक्ति ...!!
आप तो सितम ढाने को आमादा हैं साहब....
ReplyDeleteओजपूर्ण ... नायाब और शानदार पीस....
ओज़स्वी ...
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावी ... शब्द चयन, भाव और लय ... सभी मिल के कविता को नई ऊंचाई दे रहे हैं ...
सार्थक और सशक्त रचना |
ReplyDeleteआशा
हर युग में होते आये हैं
ReplyDeleteमुंह पर जाबी देने वाले
तू छोड़ सच पर, बोल अभी
अच्छा लगा खूबसूरत अभिव्यक्ति
चाहे हो जाओ एकाकी
ReplyDeleteपर संग हवा न डोलो तुम
कुछ बोलो तुम..........बहुत बढ़िया।
' मुंह पर जाबी '... अहा ! अति सुन्दर काव्य कृति..
ReplyDeleteवाह बेहतरीन कविता, श्रेष्ठ .... आप अगर अपने पोस्ट में लिंक लगा दें तो अच्छा होगा.
ReplyDeleteनीरज जी, लिंक लगाने की बात ठीक से समझा नहीं मैं. पोस्ट के किस हिस्से में लिंक लगाने का आपका अभिप्राय है?
ReplyDeleteबहुत सुन्दर निहार भाई। ऐसा लगता है इसे compose करना चाहिए, बड़ी ही मीठी गीत बनेगी। शब्द संचयन भी अति-सुन्दर है।
ReplyDeleteआपके इस पोस्ट का प्रसारण ब्लॉग प्रसारण www.blogprasaran.blogspot.in के आज 20.05.2013 के अंक में किया गया है. आपके सूचनार्थ.
ReplyDeleteप्रसारण के लिए धन्यवाद.
Deleteबहुत ही सुन्दर और बेहतरीन अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteअति-सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही बढिया
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय ........
ReplyDeletebahut khoob ......sundar geet ...
ReplyDeleteमौन तजो और कुछ बोलो ....सुन्दर रचना
ReplyDeleteठहरो मत तुम
ReplyDeleteगर वाद पराजित हो
हर युग में होते आये हैं....
सच है
सुन्दर आह्वान
bahut bahut sunder........
ReplyDeleteapki hindi bhi lazawab hein.
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना आभार
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ReplyDeleteसुन्दर रचना
साभार !
कर आज मनन
ReplyDeleteसच के सलीब को ढो लो तुम
कुछ बोलो तुम--------
जीवन का अनकहा सच
सार्थक,सुंदर भाव
बधाई
जो चुप रहेगी ज़बान-ए-खंजर..........बहुत खूब निहार भाई।
ReplyDeleteवाह ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
This comment has been removed by the author.
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ReplyDeletevary nice good information