Friday, March 23, 2018
भ्रमरगीत
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फिरूँ यत्र-तत्र मैं तृषित अधर हे कली-आली! मैं श्याम भ्रमर मैं सब चितवन से दूर, श्रांत अपने गह्वर में मैं विस्मृत था , बेनूर ,...
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Friday, August 18, 2017
जब हवा का झोंका चलता है
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घन घनघोर घिरे अंबर जड़ संभल हुआ तुरत सत्वर ढन ढनन ढनन गूंजा चहुँओर बिजली कड़की फिर मचा शोर कृषको ने सोचा आ ही गयी और बैठ गए धर हाथ...
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Sunday, November 13, 2016
मुरैनावाले के लिए
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तुम्हारे शब्द ध्वनिमात्र थे या खून का रिसता दरिया पता नहीं चल पाया कि तुम्हारे आत्मा की आवाज़ या तुम्हारे सिगरेट का का धुंआ इसी व्य...
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Saturday, October 22, 2016
विचयन-प्रकाश
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तुमने मुझे खून दिया मैंने तुम्हारा खून लिया तुमने मुझे खून से सींचा और मैंने चाक़ू मुट्ठी में भींचा शब्द नवजात की तरह नंगे हो गए ...
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Saturday, July 9, 2016
ये कैसा बंधन
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ये कैसा बंधन जिसमे तुम घने घन की तरह उठकर मुझमे ही प्रस्तारित हो गिरती तेज झोंके की तरह स्निघ्ध स्नेह सलिल बनकर भिंगोती बाहर अं...
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Thursday, July 7, 2016
मैं बंधा उस डोर से
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मैं बंधा उस डोर से जिस डोर में तुम बंध गए तो क्या ये अंबर, क्या ये चिलमन क्या ये उपवन, क्या ये निर्जन क्या ये बादल, क्या ये शीतल ...
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Wednesday, May 25, 2016
कि बादल आये हैं
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नाच उठा है मोर कि बादल आये हैं यही बात सब ओर कि बादल आये है सुरमई है हर एक किनारा अम्बर का बिजली ढन-ढन शोर कि बादल आये हैं वो...
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Friday, May 13, 2016
अन्वेषण
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उन्हीं कणों का मैं एक वाहक जिसमे रच बस गए हजारों जिसमे बस फंस गए हजारों उन्हीं कणों का मैं एक वाहक मदिर पिपासा लिए हिमालय से च...
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Tuesday, February 9, 2016
प्रश्न
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बाइबल से निकले हुए भाव थे शायद- “गॉड कैननॉट गिव यू मोर दैन यू कैन टेक” कर्ण-विवरों में आशा की ध्वनियाँ कोठे पर नाचनेवाली की पायल अ...
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