बातें अपने दिल की
Saturday, December 26, 2015

प्राण मेरे तुम कहाँ हो

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  उठ चुकी हैं सर्द आहें कोसती है रिक्त बाहें उर की वीणा झनझना कर पूछती है आज मुझसे गान मेरे तुम कहाँ हो प्राण मेरे तुम कहाँ हो ?...
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Thursday, November 26, 2015

छोटी सी बात

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अपने ही ह्रदय की अनिश्चित सीमाओं में और अनिश्चितताओं के बीच बंधी है अब भी वही तस्वीर वही गीत (‘होरी’ गीत) वही संगीत, कल्पना और...
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Thursday, October 8, 2015

अतिवेल

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ना कोई ‘प्रील्यूड’, ना ‘इंटरल्यूड’ बस शब्दों का संगीत है कुछ ध्वनियाँ ह्रदय से, नभ से शेष इसी दुनिया के ध्वनियों का समुच्चार है आप...
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Wednesday, September 30, 2015

ले लिया मौसम ने करवट

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पिछले कुछ दिनों से सतपुरा के जंगलों में घूम रहा हूँ.  प्रकृति के मध्य से सूर्य, चन्द्रमा और मौसम की मादकता पा रहा हूँ. कभी कभी उनकी तस्व...
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Sunday, September 20, 2015

एक असमाप्त प्रेम-कथा

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यह सत्य है कि हमने एक-एक कलियाँ गुलाब की लेकर नहीं बाँधा था एक दूसरे को भुज-पाश में नहीं गए मनाली, ऊटी या उटकमंड नहीं धोये हमने क्...
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Friday, September 11, 2015

निशागीत

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मन उद्भ्रांत है, सब शांत है रात का एकांत है हरसिंगार का पेड़ है कायर है चाँद सुप्त है, लुप्त है किसी कारण से गुप्त है रात का ...
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Friday, September 4, 2015

ह्रदय-राग

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  प्रातः नियमानुसार, मंदिर की घंटी मस्जिद में छनती है फिर सीधे मेरे कानों में आकर बजती है और रातों को झींगुर बहुत देर तक कहते हैं ...
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