Thursday, November 26, 2015
छोटी सी बात
›
अपने ही ह्रदय की अनिश्चित सीमाओं में और अनिश्चितताओं के बीच बंधी है अब भी वही तस्वीर वही गीत (‘होरी’ गीत) वही संगीत, कल्पना और...
7 comments:
Thursday, October 8, 2015
अतिवेल
›
ना कोई ‘प्रील्यूड’, ना ‘इंटरल्यूड’ बस शब्दों का संगीत है कुछ ध्वनियाँ ह्रदय से, नभ से शेष इसी दुनिया के ध्वनियों का समुच्चार है आप...
6 comments:
Wednesday, September 30, 2015
ले लिया मौसम ने करवट
›
पिछले कुछ दिनों से सतपुरा के जंगलों में घूम रहा हूँ. प्रकृति के मध्य से सूर्य, चन्द्रमा और मौसम की मादकता पा रहा हूँ. कभी कभी उनकी तस्व...
13 comments:
Sunday, September 20, 2015
एक असमाप्त प्रेम-कथा
›
यह सत्य है कि हमने एक-एक कलियाँ गुलाब की लेकर नहीं बाँधा था एक दूसरे को भुज-पाश में नहीं गए मनाली, ऊटी या उटकमंड नहीं धोये हमने क्...
6 comments:
Friday, September 11, 2015
निशागीत
›
मन उद्भ्रांत है, सब शांत है रात का एकांत है हरसिंगार का पेड़ है कायर है चाँद सुप्त है, लुप्त है किसी कारण से गुप्त है रात का ...
7 comments:
Friday, September 4, 2015
ह्रदय-राग
›
प्रातः नियमानुसार, मंदिर की घंटी मस्जिद में छनती है फिर सीधे मेरे कानों में आकर बजती है और रातों को झींगुर बहुत देर तक कहते हैं ...
8 comments:
Monday, August 31, 2015
प्यास
›
मैंने उस छोर पर देखा था विशाल जलराशि और पास आकर देखा तो सब मृगजल था सब रेगिस्तान था मकानों में लोग थे, हवस और शान्ति थी वातायन थ...
5 comments:
‹
›
Home
View web version