बातें अपने दिल की
Wednesday, September 30, 2015

ले लिया मौसम ने करवट

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पिछले कुछ दिनों से सतपुरा के जंगलों में घूम रहा हूँ.  प्रकृति के मध्य से सूर्य, चन्द्रमा और मौसम की मादकता पा रहा हूँ. कभी कभी उनकी तस्व...
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Sunday, September 20, 2015

एक असमाप्त प्रेम-कथा

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यह सत्य है कि हमने एक-एक कलियाँ गुलाब की लेकर नहीं बाँधा था एक दूसरे को भुज-पाश में नहीं गए मनाली, ऊटी या उटकमंड नहीं धोये हमने क्...
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Friday, September 11, 2015

निशागीत

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मन उद्भ्रांत है, सब शांत है रात का एकांत है हरसिंगार का पेड़ है कायर है चाँद सुप्त है, लुप्त है किसी कारण से गुप्त है रात का ...
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Friday, September 4, 2015

ह्रदय-राग

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  प्रातः नियमानुसार, मंदिर की घंटी मस्जिद में छनती है फिर सीधे मेरे कानों में आकर बजती है और रातों को झींगुर बहुत देर तक कहते हैं ...
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Monday, August 31, 2015

प्यास

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मैंने उस छोर पर देखा था विशाल जलराशि और पास आकर देखा तो सब मृगजल था सब रेगिस्तान था मकानों में लोग थे, हवस और शान्ति थी वातायन थ...
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Monday, July 27, 2015

एक रुदाद

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सर कलम करके वो आये हाथ अपने धो लिए था लिखा रोना हमारे भाग में हम रो लिए कह रहे थे सबसे वो करते हुए ज़िक्र-ए-रहम तुम मनाओ खैर लेना च...
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