बातें अपने दिल की
Sunday, September 21, 2014

अणुमा-बोध

›
इस अंतहीन विस्तार में मैं देखता हूँ चालाक, चतुर आँखें सुनता हूँ, वासना की लपलपाती जीभ पर दौड़ते वीर्यधारी महापुरुषों का उद्घोष घोर ...
15 comments:
Saturday, September 6, 2014

आदमी क्या चाहता है?

›
आमावस्या के टिमटिमाते तारों की फ़ौज के बीच से पूर्णिमा की निर्मल विभा के बीच भागते हुए मन बार-बार यही पूछता है- आदमी क्या चाहता है? ...
9 comments:
Thursday, August 28, 2014

परिवर्तन

›
विहान की पहली भास से दिवस के अवकाश तक पल-पल में सब, है जाता बदल परिवर्तन रहा अपनी चाल चल चढती, बढती, ढलती धूप रात्रि का भीतिकर ...
16 comments:
Sunday, August 17, 2014

नमकीन बात

›
इसमें कोई संदेह नहीं   आपका नमक खाया है खाया है, पसीने में बहाया है पर आपने शोणितपान करते कभी सोचा है रक्त में निहित सामुद्रिक स्वा...
11 comments:
Friday, August 8, 2014

कुछ बातें

›
कई वर्षो से मैंने यही महसूस किया कि थोड़ा सा मान-मर्दन, थोड़ा सा राष्ट्रवाद थोड़ा सा स्वाभिमान, थोड़ी सी आत्मा अगर मार दी जाए और थोड़ा ...
17 comments:
Tuesday, July 29, 2014

परी कथा की परिकथाएं

›
प्रेमिका अनवरत मिलन-गीत गाती है और ये कदम हैं जो लौट नहीं पाते भेड़ियों के बारे कहा गया था वो आदिम शाकाहारी हैं गाँव में शहर के कुछ ल...
16 comments:
‹
›
Home
View web version
Powered by Blogger.