बातें अपने दिल की
Tuesday, July 29, 2014

परी कथा की परिकथाएं

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प्रेमिका अनवरत मिलन-गीत गाती है और ये कदम हैं जो लौट नहीं पाते भेड़ियों के बारे कहा गया था वो आदिम शाकाहारी हैं गाँव में शहर के कुछ ल...
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Friday, July 18, 2014

नयी जमीन

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इन सीलन भरी दीवारों वाले तमतृप्त वातायनहीन कमरे में सिलवट भरे बिस्तर, और   यादों की गठरी वाली इस तकिये पर एक टुकड़ा धूप, दो टुकड़ा च...
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Sunday, June 22, 2014

कलम! कहो

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कलम! धुंआ है, आग है, पानी है कलम! इसी से लिखनी तुझे कहानी है कलम! दुःख है, स्नेह है, निराशा है, आशा है कलम! सबके जीवन में इसी का बास...
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Wednesday, June 11, 2014

तह

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शोणित व नख व मांस, वसा अंगुल शिखरों तक कसा कसा   आड़ी तिरछी रेखाओं में  कहते, होता है भाग्य बसा हाथों की दुनिया इतनी सी वो उसका ह...
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Friday, June 6, 2014

पास-ए-ठक्कन बाबू

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इस इक्कीसवी सदी में इतना हो चुका है पर आकुल ज्वाला के साथ आई इन अग्नि सिक्त फूलों में ना रंग है ना महक है ना दूर-दूर तक कोई चहक है...
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