Sunday, June 22, 2014
कलम! कहो
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कलम! धुंआ है, आग है, पानी है कलम! इसी से लिखनी तुझे कहानी है कलम! दुःख है, स्नेह है, निराशा है, आशा है कलम! सबके जीवन में इसी का बास...
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Wednesday, June 11, 2014
तह
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शोणित व नख व मांस, वसा अंगुल शिखरों तक कसा कसा आड़ी तिरछी रेखाओं में कहते, होता है भाग्य बसा हाथों की दुनिया इतनी सी वो उसका ह...
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Friday, June 6, 2014
पास-ए-ठक्कन बाबू
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इस इक्कीसवी सदी में इतना हो चुका है पर आकुल ज्वाला के साथ आई इन अग्नि सिक्त फूलों में ना रंग है ना महक है ना दूर-दूर तक कोई चहक है...
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Thursday, June 5, 2014
सन्देश
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अबकी, जबकि मैं निकल पड़ा हूँ तो या जंगल में आग होगी या मेरे हाथों में नाग होगा पर इतना ज़रूर तय है कि मेरी छह-दो की यह काया दंश से...
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Friday, May 30, 2014
मोरचंग
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कौन जानता है किसकी दंतपंक्ति है, किसका हाथ है किसका 'तार' है कौन वो रूपोश है किसका ये विस्तार है नहीं, संगीत नहीं ...
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Saturday, May 24, 2014
आज की रात
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उधर से तुम हाथ उठाओ, इधर से हम हाथ उठायें इसी तरह से, चलो जश्न की रात बिताएं कई दिन हैं बीते, तो ये रात आई किस्सा बड़ा है, ह...
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Saturday, May 17, 2014
देहाती बातें
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बहुत शान्ति है इस खटिये में जिसमे धंस कर, धंस जाता हूँ अपने आप में बहुत दूर, बहुत अंदर, आत्मिक-आलाप में जिसमे न बल्ब है, न रौशनी है ...
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Sunday, May 11, 2014
प्रजातंत्र: चार प्रसंग
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प्रसंग एक- कुछ नया नहीं यह गरीब! पिसता था, पिसता है, पिसता ही रहेगा देह घिसता था, घिसता है, घिसता ही रहेगा किसी खेत में, किसी ...
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Monday, May 5, 2014
पिया के पाश में
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फिर उसी आनंद की तलाश में लौट आया हूँ पिया के पाश में कब कौन जी से चाहता, पिया से दूर जाना और पिया बिन हो वियोगी, कविता बनाना ...
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