Friday, May 30, 2014
मोरचंग
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कौन जानता है किसकी दंतपंक्ति है, किसका हाथ है किसका 'तार' है कौन वो रूपोश है किसका ये विस्तार है नहीं, संगीत नहीं ...
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Saturday, May 24, 2014
आज की रात
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उधर से तुम हाथ उठाओ, इधर से हम हाथ उठायें इसी तरह से, चलो जश्न की रात बिताएं कई दिन हैं बीते, तो ये रात आई किस्सा बड़ा है, ह...
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Saturday, May 17, 2014
देहाती बातें
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बहुत शान्ति है इस खटिये में जिसमे धंस कर, धंस जाता हूँ अपने आप में बहुत दूर, बहुत अंदर, आत्मिक-आलाप में जिसमे न बल्ब है, न रौशनी है ...
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Sunday, May 11, 2014
प्रजातंत्र: चार प्रसंग
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प्रसंग एक- कुछ नया नहीं यह गरीब! पिसता था, पिसता है, पिसता ही रहेगा देह घिसता था, घिसता है, घिसता ही रहेगा किसी खेत में, किसी ...
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Monday, May 5, 2014
पिया के पाश में
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फिर उसी आनंद की तलाश में लौट आया हूँ पिया के पाश में कब कौन जी से चाहता, पिया से दूर जाना और पिया बिन हो वियोगी, कविता बनाना ...
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काका के लिए
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मैं जनता हूँ, अनिर्दिष्ट पथों में ही आत्मा सृत्वर है मैं जानता हूँ, भव-कूप का अंतहीन स्तर है मैं जानता हूँ, कितना निर्दय काल का कर...
Friday, February 28, 2014
पुकार
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कैद रहने दो मुझे दोस्त, कोई हवा ना दो रहने दो ज़ख्म मेरे साथ, कोई दवा ना दो इन तल्ख एहसासों को उतर जाने दो सुखन में लिखने दो दास्ता...
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Wednesday, February 12, 2014
कौन कहे
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लाशें ये किसकी है, लाशों का पता, कौन कहे खून बिखरा है, मगर किसकी ख़ता, कौन कहे वो तो मकतूल की किस्मत थी, मौत आई थी ऐसे में किस-किस ...
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Sunday, January 26, 2014
काल-क्रीता
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आपके चेहरे की यह ललाई जो उभर आई है मांसल-पिंडों की थपकियों से आपके मुंह से झड़ते ये ‘मधुर’ बोल जो बहुत सुनते आये हैं पूंजीवादियों से...
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