Thursday, October 31, 2013
यही हो याचना
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आप सबों को दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें! शाप, प्रतिशाप के निरर्थक अग्नि की झुलसाई वेदना संतप्त लेकिन अम्लान मुखी हुलसाई दे...
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Friday, October 25, 2013
हाँ! बहुत कर सकता हूँ मैं
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पिछले पोस्ट के उस 'मैं' से इस 'मैं' का संवाद - ‘नई सड़क’ की तंग वो गलियाँ जिनके थे जर्जर दीवार रत्न, मोति...
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Sunday, October 20, 2013
हाँ! यही कर सकता हूँ मैं
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तंत्र के तंग, गंदे रास्तों से खीझाये असंख्य उद्दांत स्वरों को स्वयं में समाये यहाँ-वहाँ, आग लगे शब्दों की भादो जैसी बरसात कर स...
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Monday, October 14, 2013
असंवाद
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उलझा अपने भावों में, कुछ लिख नहीं पाऊँ तुझसे प्राणित जो शब्द, उन्हें क्या तुम्हे सुनाऊँ उचित नहीं है क्षण ये, ना मेरा राग मधुर उर क...
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Monday, October 7, 2013
और ये धुँआ धुँआ
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अक्टूबर की गुनगुनाती धूप लम्बी ‘ब्लू रिज’ पर्वत श्रृंखला जलेबिया रास्तों की चुनौतियाँ मुग्ध करती पहाड़ी हरियाली और ये धुँआ धुँआ ...
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Wednesday, October 2, 2013
कवि से
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माना आपका कोमल ह्रदय है संसार की सारी व्यथाओं का आपके ही उर संचय है कलम अनुक्षण विकल है घृत के साथ उठती अग्निशिखा सी प्रचंड है, ...
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