Thursday, September 26, 2013
दीया और घड़ा
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अपनी लघुता की कुंठा से अरे ओ दीपक! बढ़ा मत निरर्थक व्यथा का भार उसी मिटटी, हाथ से, तुम दोनों निर्माण हुआ तपकर जब बाहर निकले, आ...
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Sunday, September 22, 2013
काश!
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गुड़गुड़ाते हुक्कों के बीच उठता धुएं का धुंध उसे चीरती चिता की चिताग्नि चेहरों पर उभरे प्रश्वाचक चिन्ह कुछ पाषाण हृदयी जीवित अ-म...
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Wednesday, September 18, 2013
आत्मरक्षा
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गतिमान पथिक, सतत विकस्वर सुख-निरिच्छ, केन्द्रित लक्ष्य पर किन्तु जगत के मोह बंधन से पग-पग मिलते प्रलोभन से मिथ्या के मोहक छद्म ...
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Sunday, September 15, 2013
पुनः जंगलों में
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पचास साल गुजार कर सारा ‘संसार’ पाकर उम्र के इस पड़ाव पर वो भाग जाना चाहता है पूरब की ओर क्योंकि पूरब में है ‘ह्वंग ह’ और ‘ह...
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Thursday, September 12, 2013
लैलोनिहार चल तिमिर छाड़
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दिवस हो या हो निशा, दो रूप हैं, पर है समय दिवस-प्रीति निशा-भीति, क्यों निशा से इतना भय? हो नहीं पाओगे पुलकित देखकर टिम-टिम वो ...
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Thursday, September 5, 2013
लेकिन कविता रूठी है
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देख यह विस्तीर्णता यूँ व्योम में फिरता हुआ मन नील नभ की नीलिमा से तीर पर तिरता हुआ मन लेकिन कविता रूठी है दिवस किरण-वांछा से...
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Saturday, August 31, 2013
ताश के पत्तों का आशियाँ
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ये दर-ओ-दीवार, ये फानूस लटकती पेंटिंग पर नीम-शब का माह ‘लिविंग रूम’ में सजी आतिश-फिशां तस्वीरें दफ्न किये गुज़रे वक़्त की व...
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