बातें अपने दिल की
Saturday, August 31, 2013

ताश के पत्तों का आशियाँ

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ये दर-ओ-दीवार, ये फानूस लटकती पेंटिंग पर नीम-शब का माह ‘लिविंग रूम’ में सजी  आतिश-फिशां तस्वीरें दफ्न किये गुज़रे वक़्त की व...
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Saturday, August 24, 2013

यही है, जो है

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यही अक्षर समूह हैं जिसमे अब मेरा सब है मेरी प्रतिच्छाया, उन्माद, अवसाद    हर्ष, आर्तनाद, आह्लाद सब यही है वरन मेरे इस नश्वर शरीर...
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Thursday, August 15, 2013

कंटक व्यथा

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कब देखा है तुमने मुझको, सुर चरणों पर इठलाते हुए कब देखा है तुमने मुझको अलकावलि में बंध जाते हुए कब देखा है तुमने मुझपर बेसुध म...
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Friday, August 9, 2013

पैमाना और दायरा

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समय तो समय है पैमाना ठहरा पैमाना लेकिन समय का पैमाना अगर जाता है बदल तो परिवर्तन बनता अपरिवर्तन खो जाती है किलकारी गुम होता ...
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Saturday, July 20, 2013

नव-निर्माण

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गुरु कवियों ने शायद यही मान लिया था रस   हीन शब्द कविता नहीं, जान लिया था और कविता में रस-फोट करने का ठान लिया था कभी रसिया चर...
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Saturday, July 13, 2013

पनडुब्बी

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इतनी भी प्यास नहीं, इतना भी स्वार्थ नहीं जहाँ देखा मधु-घट   वही पर  ढल गए ठहरा नहीं तितली जैसा जी भर पराग चखा   फिर देख नय...
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Saturday, July 6, 2013

व्योम के इस पार, उस पार

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एक भुजंग, एक दादुर भुजंग क्षुधा आतुर दादुर बंदी यतमान भीत भ्रांत भौरान संफेट का नहीं प्रश्न बस निगीर्ण  प्राण ना उल्लाप ना आ...
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Saturday, June 29, 2013

ज़िन्दगी को चलना है

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ज़िन्दगी का क्या है ज़िन्दगी को चलना है हर्ष हो, उल्लास हो गुम हुआ उजास हो पर्ण-पर्ण हों नवीन या जगत हो प्रलीन हम तो बस प्या...
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