बातें अपने दिल की
Saturday, June 29, 2013

ज़िन्दगी को चलना है

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ज़िन्दगी का क्या है ज़िन्दगी को चलना है हर्ष हो, उल्लास हो गुम हुआ उजास हो पर्ण-पर्ण हों नवीन या जगत हो प्रलीन हम तो बस प्या...
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Friday, June 21, 2013

चकोर! जान चाँद को

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जा चकोर! फिरते रहो इस छोर से उस छोर  विरह वेदना में बहाते रहो नोर हर्ष के तर्ष में करते रहो लोल   खोल ह्रदय से किलोल ...
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Saturday, June 15, 2013

हे मान्यवर!

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हे मान्यवर! मैंने कब कहा मैं पापी नहीं हूँ लेकिन स्वर्ग की चाह नहीं है मुझे नर्क का भय नहीं है मुझे  मैं स्वर्ग-नर्क से ऊपर उठ चु...
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Sunday, June 9, 2013

दिलबस्त

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ज़ब्त कर लो ह्रदय की उफान बेरोक आँसू सिसकियों की तान म्लिष्ट शब्द तुम्हारे और ये बधिर कान व्यर्थ रोदन में नहीं है त्राण स...
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Tuesday, June 4, 2013

दृग-भ्रम

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हर सुबह देखता था सामने धवल शिखरों की अनुपम सुन्दरता उसपर भोर की मनोहर पीली किरण उसका वो शांत सौम्य रूप   ललचाता था   उ...
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Wednesday, May 29, 2013

नीली रौशनी के तले

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किंग्स स्ट्रीट से हर रोज़ गुजरता हूँ घर लौटते   उसे बेतहाशा पार करने की जिद ठाने मगर ये रेड लाइट रोक लेती है मुझे नीली-पीली रौ...
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Sunday, May 26, 2013

जिसने की निंदिया की चोरी

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जिसने की निंदिया की चोरी जिसने की निंदिया की चोरी उसी की ढोरी , उसी की ढोरी मन आँगन में जिसने आकर चिर-प्रकाश का दीप जलाकर ...
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Saturday, May 18, 2013

कुछ बोलो तुम

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कुछ बोलो तुम इस मौन को त्यजकर अपने मुख को खोलो तुम कुछ बोलो तुम डरो मत तुम गर कथ्य विवादित हो ठहरो मत तुम...
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Saturday, May 11, 2013

पता तो चले

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अजी खुल के इश्तेहार कीजिये कह डालिए सबसे माँ आपके लिए क्या है तब तो पता चले सबको कितना प्यार है माँ से फूलों का गुलदस्ता भेजिए ...
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Tuesday, May 7, 2013

चाँद से शिकायत

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देख ली तुम्हारी हकीकत निर्जन, निर्वात, पथरीला यही सच है तुम्हारा झूठे मामा मेरे बचपन के पर-आभा से चमकने वाले क्यों मैं पूजूं तु...
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Sunday, April 21, 2013

बहुरुपिया

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दीवार पर टंगे दर्पण में और फिर अपने मन में  देखेंगे खुद को  हो गंभीर  तो दिखेगी अपनी अलग-अलग तस्वीर  दीवार का आइना दिखाता है  सिर्फ...
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Monday, April 15, 2013

कैसे तज दूं ‘प्राण’ को!

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ये मेरी मंजुल-मुखी, खो ना जाए इस तमस में इसलिए है छुपा रखा मैंने इसे पंजर-कफस में संग मेरे  स्वप्न में संग है हर श्वास में अ...
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Wednesday, April 10, 2013

गामवाली

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(कोसी के धार-कछार के मध्य गामवाली की धरती)  इब्तिदा चचा ग़ालिब के इस शेर से - लिखता है 'असद' सोज़िशे दिल से सुखन-ऐ-गर...
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