बातें अपने दिल की
Sunday, April 21, 2013

बहुरुपिया

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दीवार पर टंगे दर्पण में और फिर अपने मन में  देखेंगे खुद को  हो गंभीर  तो दिखेगी अपनी अलग-अलग तस्वीर  दीवार का आइना दिखाता है  सिर्फ...
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Monday, April 15, 2013

कैसे तज दूं ‘प्राण’ को!

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ये मेरी मंजुल-मुखी, खो ना जाए इस तमस में इसलिए है छुपा रखा मैंने इसे पंजर-कफस में संग मेरे  स्वप्न में संग है हर श्वास में अ...
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Wednesday, April 10, 2013

गामवाली

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(कोसी के धार-कछार के मध्य गामवाली की धरती)  इब्तिदा चचा ग़ालिब के इस शेर से - लिखता है 'असद' सोज़िशे दिल से सुखन-ऐ-गर...
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Wednesday, April 3, 2013

आशा का दीप

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आशा का दीप लौ दीप का अस्थिर कर जाता है जब एक हवा का झोंका आता है पल भर को तम होता लेकिन फिर त्विषा से वो भर जाता है इस दीप क...
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Wednesday, March 27, 2013

पहचान

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(वोयेजर द्वारा करीब ६ खरब किलोमीटर दूर से ली गयी पृथ्वी की तस्वीर)  पहचान  विस्तृत अंतरिक्ष के   एक दीप्त आकाशगंगा में कण...
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Saturday, March 23, 2013

फागुनी संवाद

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मेरे गाँव में देवर और भाभी के बीच फाग-लड़ाई की साल भर प्रतीक्षा होती है. ये संवाद उसी पृष्टभूमि में है. सभी मित्रों को होली की हार्दिक शुभक...
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Friday, March 15, 2013

प्यार की वैज्ञानिक कविता

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प्यार की वैज्ञानिक कविता स्मृति के चुम्बक पर बारहा लौट आते हो लौह दिल के मालिक यास दिए जाते हो मन नाभिक के पास    इलेक्ट्रान...
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Saturday, March 9, 2013

सोचो नदियाँ क्या कहती है!

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सोचो नदियाँ क्या कहती है! चलती रहती वह हर क्षण अपने पथ पर हर तृषित का करती है वो रसमय अधर पावस शरद की परवाह नहीं करती है वो उत्...
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Friday, March 1, 2013

गर्भवती

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गर्भवती  सुबह अपनी प्रयोगशाला पहुँचा  तो अपने नियत स्थान से "शिकागोवाली" गायब थी  बस्ता रखा और  अपने घुलते र...
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Saturday, February 23, 2013

ज़िन्दगी के रंग

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ज़िन्दगी के रंग  गाँव के अन्दर, शहर के बीच और देश के बाहर  कभी ठेस खाकर कभी प्यार पाकर  ज़िन्दगी की राह पर चलते सँभलते  कभी लड़ख...
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प्रिये तुम चलोगी साथ मेरे?

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महान निर्देशक गुरु दत्त के फिल्मों का मैं बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ. उनकी मशहूर  फिल्म ' प्यासा ' कई बार देखी है.  फिल्म के  आखिर...
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Sunday, February 17, 2013

कवि का सच

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कवि का सच  लोग कहते हैं  कविता झूठी है  कल्पना का सागर है  जिसका यथार्थ से कुछ वास्ता नहीं लोग कहते हैं   कवि कविता की आड़ में अपन...
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रात की बात

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रात की बात जब आसमाँ  से गुम हो निशाँ आफताब के हो माह में डूबा ज़माना, रात को आना पाओगी सितारों की झलक, जुगनू भी मिलेंगे उस...
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Saturday, February 2, 2013

जवाब पत्थर का

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पत्थर से गुफ्तगू पत्थर से मैंने सबब पूछा क्यों इतने कठोर हो निष्ठुर हो, निर्दय हो   खलनायकी के पर्याय हो कभी किसी के पाँव लग...
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