Saturday, January 26, 2013
क़द्र रौशनी की
›
क़द्र रौशनी की जिन आँखों ने देखे थे सपने चाँद सितारों के वो जल-जल कर आज अग्नि की धार बने हैं सपने हों या तारें हों, अक्सर टूटा...
22 comments:
Sunday, January 20, 2013
पंथ निहारे रखना
›
पंथ निहारे रखना छोड़ दो ताने बाने भूल के राग पुराने प्रेम सुधा की सरिता आ जाओ बरसाने प्रियतम दूर कहाँ हो किस वन, प्रांतर मे...
13 comments:
काली बातें
›
काली बातें रात है निस्तब्ध और मैं अकेला चला जा रहा हूँ ना कोई मंजिल है और न वजह बस चलना है इसलिए चलता हूँ रात गहरी है, हैं ...
5 comments:
Saturday, January 12, 2013
ज्योति थी तुम जीते जी, ज्योत हो तुम मर कर भी
›
ज्योति थी तुम जीते जी, ज्योत हो तुम मर कर भी तेरी चीख नहीं सुनी हमने पर घोर शोर है मन में धधक उठी आज आग हमारे हिस्से के हर कण ...
23 comments:
Friday, January 4, 2013
जल! तेरी यही नियति है मन
›
जल! तेरी यही नियति है मन जीवन पथ कुछ ऐसा ही है चुभते ही रहेंगे नित्य शूल हो सत्मार्गी पथिक तो भी उठ ही जाते हैं स्वर-प्रतिक...
21 comments:
Sunday, December 30, 2012
बगावत अपने घर
›
बगावत अमानत भेंट हुई है आज उस पाशविकता के जो आई है समाज के कण-कण में पसरे दानवता से और जब से वह अर्ध्स्फुट पुष्प गई है लोक-प...
17 comments:
Tuesday, December 25, 2012
आ सजा लो मुंडमाल
›
“फूल” थी वो, फूल सी प्यारी जब कुचली गयी थी वो बेचारी जीवन में पहली उड़ान लेती वो मगर तभी किसी ने काट लिए थे उसके पर हंगामे त...
17 comments:
Saturday, December 15, 2012
सच्चा प्यार
›
प्यार ही हैं दोनों एक प्यार जिसमे दो आँखें मिलती हैं दो दिल मिलते हैं, धड़कते हैं नींद भी लुटती है और चैन भी जीने मरने की कसम...
23 comments:
Saturday, December 8, 2012
फिर हो मिलन मधुमास में
›
फिर हो मिलन मधुमास में चहुँ ओर कुसुमित यह धरा कण-कण है सुरभित रस भरा क्यों जलो तुम भी विरह की आग में क्यों न कलियाँ और खिले...
25 comments:
Monday, December 3, 2012
आतिश-ओ-गुल
›
ये तो मैंने माना, ज़िन्दगी एक सज़ा है पर कौन जानता है, इससे बेहतर क़ज़ा है ये परवाने जानते हैं, या जानता है आशिक कि आग में डू...
13 comments:
‹
›
Home
View web version