बातें अपने दिल की
Sunday, December 30, 2012

बगावत अपने घर

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बगावत अमानत भेंट हुई है आज उस पाशविकता के जो आई है समाज के कण-कण में पसरे दानवता से और जब से वह अर्ध्स्फुट पुष्प गई है  लोक-प...
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Tuesday, December 25, 2012

आ सजा लो मुंडमाल

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“फूल” थी वो, फूल सी प्यारी जब कुचली गयी थी वो बेचारी जीवन में पहली उड़ान लेती वो मगर तभी किसी ने काट लिए थे उसके पर हंगामे त...
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Saturday, December 15, 2012

सच्चा प्यार

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प्यार ही हैं दोनों एक प्यार जिसमे दो आँखें मिलती  हैं दो दिल मिलते हैं, धड़कते हैं नींद भी लुटती है और चैन भी जीने मरने की कसम...
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Saturday, December 8, 2012

फिर हो मिलन मधुमास में

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फिर हो मिलन मधुमास में चहुँ ओर कुसुमित यह धरा कण-कण है सुरभित रस भरा क्यों जलो तुम भी विरह की आग में क्यों न कलियाँ और खिले...
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Monday, December 3, 2012

आतिश-ओ-गुल

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ये तो मैंने माना, ज़िन्दगी एक सज़ा है पर कौन जानता है, इससे बेहतर क़ज़ा है ये परवाने जानते हैं, या जानता है आशिक कि आग में डू...
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Saturday, November 24, 2012

विरहगान

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बैरी रैन काटी नहीं जाय ,एक अजीब उलझन सी लागे मैं तरसूँ रह-रह आस तोहारे, निश सारी डरन सी लागे बाग़ ना सोहे मोहे बलमा ,बिन रंग लागे ...
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Tuesday, November 20, 2012

अनबुझ प्यास

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मैं प्यासा बैठा रहा बरगद के नीचे  तुम्हारे  इंतज़ार में हवा आयी, और जुगनुओं का झुण्ड इस विभावरी रात में सोचा था तुम्हे ...
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Friday, November 16, 2012

जो हो जाऊँ मैं पर्वत

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पर्वत बना दो मुझे कि ताप में, शीत में रार  में , प्रीत में शरद में, वसंत में धरा पर, अनंत में फूल में, आग में रंग में, दाग मे...
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Sunday, November 11, 2012

माँ से दूर

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फैला के अपना दामन ड्योढ़ी के मुहाने पर बैठ जाती है हर रोज़ मेरे आमद की आस लिए अपने तनय की पदचाप सुनने कहती हवाओं से जल्दी पश्चिम...
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Saturday, November 3, 2012

साँकल

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क्यों है ऐसी रचना जिसमे मैं हूँ स्वछंद और तू सिसकियाँ मारती है होकर कमरे में बंद मैं घूमता हूँ रस्ते पर  खुलेआम नंगे बदन  और त...
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