Saturday, November 24, 2012
विरहगान
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बैरी रैन काटी नहीं जाय ,एक अजीब उलझन सी लागे मैं तरसूँ रह-रह आस तोहारे, निश सारी डरन सी लागे बाग़ ना सोहे मोहे बलमा ,बिन रंग लागे ...
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Tuesday, November 20, 2012
अनबुझ प्यास
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मैं प्यासा बैठा रहा बरगद के नीचे तुम्हारे इंतज़ार में हवा आयी, और जुगनुओं का झुण्ड इस विभावरी रात में सोचा था तुम्हे ...
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Friday, November 16, 2012
जो हो जाऊँ मैं पर्वत
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पर्वत बना दो मुझे कि ताप में, शीत में रार में , प्रीत में शरद में, वसंत में धरा पर, अनंत में फूल में, आग में रंग में, दाग मे...
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Sunday, November 11, 2012
माँ से दूर
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फैला के अपना दामन ड्योढ़ी के मुहाने पर बैठ जाती है हर रोज़ मेरे आमद की आस लिए अपने तनय की पदचाप सुनने कहती हवाओं से जल्दी पश्चिम...
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Saturday, November 3, 2012
साँकल
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क्यों है ऐसी रचना जिसमे मैं हूँ स्वछंद और तू सिसकियाँ मारती है होकर कमरे में बंद मैं घूमता हूँ रस्ते पर खुलेआम नंगे बदन और त...
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Saturday, October 27, 2012
कुछ अशआर
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नवा-ए-दिल एक कल बीत चुका, एक कल आने को है सुनो मेरे अहबाब, आज कुछ बताने को है किस-किस से बचता रहूँ सफ़र-ए-हयात में ह...
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Friday, October 26, 2012
समय बड़ा बलवान
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माज़ूर लाख बहलाता हूँ दिल को, लेकिन बहल पाता नहीं बना पीर का सागर ह्रदय, अब कुछ मुझे भाता नहीं रौशनी ही रौशनी चारों तरफ फैली ...
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Thursday, October 11, 2012
भागलपुर के ज़ख्म
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जब कभी डूब जाता हूँ माज़ी में, तसव्वुर में याद करता हूँ वो क़त्ल-ओ-खूँ भागलपुर में सैकड़ों लाशें बस एक ही करती थी बयाँ मजहबों ...
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Wednesday, October 3, 2012
कैसे कह दूँ भारत महान ?
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इस कविता को पोस्ट करने से पहले यह बता दूँ की अपनी मिट्टी के कण-कण से मुझे बेहद प्यार है. यह देख कर बहुत अच्छा अनुभव होता है कि देश विक...
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