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विवशता
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Saturday, July 6, 2013
व्योम के इस पार, उस पार
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एक भुजंग, एक दादुर भुजंग क्षुधा आतुर दादुर बंदी यतमान भीत भ्रांत भौरान संफेट का नहीं प्रश्न बस निगीर्ण प्राण ना उल्लाप ना आ...
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Saturday, June 29, 2013
ज़िन्दगी को चलना है
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ज़िन्दगी का क्या है ज़िन्दगी को चलना है हर्ष हो, उल्लास हो गुम हुआ उजास हो पर्ण-पर्ण हों नवीन या जगत हो प्रलीन हम तो बस प्या...
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