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Sunday, June 9, 2013
दिलबस्त
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ज़ब्त कर लो ह्रदय की उफान बेरोक आँसू सिसकियों की तान म्लिष्ट शब्द तुम्हारे और ये बधिर कान व्यर्थ रोदन में नहीं है त्राण स...
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Sunday, May 26, 2013
जिसने की निंदिया की चोरी
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जिसने की निंदिया की चोरी जिसने की निंदिया की चोरी उसी की ढोरी , उसी की ढोरी मन आँगन में जिसने आकर चिर-प्रकाश का दीप जलाकर ...
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Monday, April 15, 2013
कैसे तज दूं ‘प्राण’ को!
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ये मेरी मंजुल-मुखी, खो ना जाए इस तमस में इसलिए है छुपा रखा मैंने इसे पंजर-कफस में संग मेरे स्वप्न में संग है हर श्वास में अ...
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