बातें अपने दिल की
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Wednesday, April 10, 2013

गामवाली

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(कोसी के धार-कछार के मध्य गामवाली की धरती)  इब्तिदा चचा ग़ालिब के इस शेर से - लिखता है 'असद' सोज़िशे दिल से सुखन-ऐ-गर...
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Sunday, November 11, 2012

माँ से दूर

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फैला के अपना दामन ड्योढ़ी के मुहाने पर बैठ जाती है हर रोज़ मेरे आमद की आस लिए अपने तनय की पदचाप सुनने कहती हवाओं से जल्दी पश्चिम...
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Tuesday, August 7, 2012

कोसी मैया? (Mother Kosi ?)

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निर्लज्ज देखा सदियों से हमने तेरा विकराल स्वरुप जो थी तुझमे पहले वैसी अब भी  भूख चाँद सितारे ना बदले ना बदला तेरा ढंग ...
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