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माँ
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Saturday, July 13, 2013
पनडुब्बी
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इतनी भी प्यास नहीं, इतना भी स्वार्थ नहीं जहाँ देखा मधु-घट वही पर ढल गए ठहरा नहीं तितली जैसा जी भर पराग चखा फिर देख नय...
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Saturday, May 11, 2013
पता तो चले
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अजी खुल के इश्तेहार कीजिये कह डालिए सबसे माँ आपके लिए क्या है तब तो पता चले सबको कितना प्यार है माँ से फूलों का गुलदस्ता भेजिए ...
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