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कुछ यूँ ही
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Friday, March 15, 2013
प्यार की वैज्ञानिक कविता
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प्यार की वैज्ञानिक कविता स्मृति के चुम्बक पर बारहा लौट आते हो लौह दिल के मालिक यास दिए जाते हो मन नाभिक के पास इलेक्ट्रान...
32 comments:
Saturday, February 2, 2013
जवाब पत्थर का
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पत्थर से गुफ्तगू पत्थर से मैंने सबब पूछा क्यों इतने कठोर हो निष्ठुर हो, निर्दय हो खलनायकी के पर्याय हो कभी किसी के पाँव लग...
15 comments:
Wednesday, August 1, 2012
पहला पोस्ट
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कुछ साल पहले ब्लॉग लिखना शुरू किया था. लेकिन ज्यादा लिख नहीं पाया. वक्त की पाबंदियां, कुछ दूसरी परिस्थियों की वजह से ज्यादा लिख नहीं पाया. ...
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