tag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post5992434831869612520..comments2023-10-31T02:35:52.564-04:00Comments on बातें अपने दिल की : अपनी-अपनी लड़ाई मेंओंकारनाथ मिश्र http://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-7942200300549066922015-03-31T03:34:09.242-04:002015-03-31T03:34:09.242-04:00यही सच है...हर किसी को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है....यही सच है...हर किसी को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है... संघर्ष ही जीवन है, कठिन संघर्ष से ही व्यक्ति का जीवन प्रामाणिक बनता है...सुंदर रचना Himkar Shyamhttps://www.blogger.com/profile/18243305513572430435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-64547721959654407162015-03-30T08:14:20.096-04:002015-03-30T08:14:20.096-04:00अपनी-अपनी दृष्टि का अपना वर्णन
आनंद क्षण-क्षण, आनं...अपनी-अपनी दृष्टि का अपना वर्णन<br />आनंद क्षण-क्षण, आनंद कण-कण<br /><br />सार यही है। ।बहुत सुन्दर भाव !!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-44092177883097966222015-03-27T06:25:06.697-04:002015-03-27T06:25:06.697-04:00अपने-अपने शून्य का अपना-अपना स्वन
अपने-अपने वर्तमा...अपने-अपने शून्य का अपना-अपना स्वन<br />अपने-अपने वर्तमान का नित नया स्तनन<br />अपनी-अपनी दृष्टि का अपना वर्णन<br />आनंद क्षण-क्षण, आनंद कण-कण<br />बहुत सटीक लगी यह पंक्तियाँ, सुन्दर रचना निहार जी, !<br />Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-21429441174112843762015-03-14T03:17:30.333-04:002015-03-14T03:17:30.333-04:00सब जाने समझे पर न पिघले रूप अहम का
और कोई हल न सूझ...सब जाने समझे पर न पिघले रूप अहम का<br />और कोई हल न सूझे पाले हुए हर वहम का Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-46033585434235981862015-03-13T21:53:18.751-04:002015-03-13T21:53:18.751-04:00ध्रुव सत्य है जो वहीं तो नहीं स्वीकार करता मन ध्रुव सत्य है जो वहीं तो नहीं स्वीकार करता मन Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-41589269253962521592015-03-02T03:27:10.847-05:002015-03-02T03:27:10.847-05:00बहुत गहरे भाव...बहुत गहरे भाव...Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-21336601151551928162015-03-01T09:04:40.881-05:002015-03-01T09:04:40.881-05:00विचारणीय , सारगर्भित विचारणीय , सारगर्भित डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-22810861223599260982015-03-01T04:08:49.034-05:002015-03-01T04:08:49.034-05:00ठोस, कटु सत्य तथा यथार्थ प्रकट किया है आपने। लेकि...ठोस, कटु सत्य तथा यथार्थ प्रकट किया है आपने। लेकिन बहुत लोग हैं, जो कहते हैं कि इस तरह की बातें करनेवाले यथार्थ से मुंह मोड़ते हैं, पर मैं उनसे पूछता हूं कि जीवन-अकाल से बड़ा यथार्थ क्या हो सकता है। और इस पर केन्द्रित होकर कोई जीवनात्मक दर्शन में है, उसके अनुसार जीवन में है तो वह आलोच्य की बजाय स्तुत्य क्यों न हो! लेकिन ऐसा कहां है। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-33181183365893312492015-03-01T01:47:50.223-05:002015-03-01T01:47:50.223-05:00अपनी-अपनी दृष्टि का अपना वर्णन
आनंद क्षण-क्षण, आनं...अपनी-अपनी दृष्टि का अपना वर्णन<br />आनंद क्षण-क्षण, आनंद कण-कण ...<br />वैसे सच भी तो यही है ... अपनी दृष्टि से सब कुछ देखते हैं अपने दृष्टिकोण से समझते हैं और उसी अनुसार आनंद लेते हैं पल पल ... अन्यथा सबको काल में जाना है चाहे हों ... सभ्यताएं, जीन, जंतु, जीवाश्म ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-63370081894540087922015-02-28T23:27:18.330-05:002015-02-28T23:27:18.330-05:00सभ्यताएं, जीन, जंतु, जीवाश्म
सबका एक ही हाल, मृदा ...सभ्यताएं, जीन, जंतु, जीवाश्म<br />सबका एक ही हाल, मृदा है काल....... सत्य है और यही सत्य है .... सुंदर प्रस्तुति । Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-33016494722357882862015-02-28T22:24:20.896-05:002015-02-28T22:24:20.896-05:00इसी क्षणिक लड़ाई में हम अंतिम शब्द-सार तक नहीं पहुँ...इसी क्षणिक लड़ाई में हम अंतिम शब्द-सार तक नहीं पहुँच पाते हैं और मिट्टी में तब्दील हो जाते हैं। Rahul...https://www.blogger.com/profile/11381636418176834327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7469521435542377292.post-70809068873022623912015-02-28T22:21:28.645-05:002015-02-28T22:21:28.645-05:00सच कहा मिट्टी ही सबका काल है, पर वर्तमान के स्तवन ...सच कहा मिट्टी ही सबका काल है, पर वर्तमान के स्तवन में हम कहाँ याद रखते हैं?Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.com