Saturday, May 18, 2013

कुछ बोलो तुम

कुछ बोलो तुम

इस मौन को त्यजकर
अपने मुख को खोलो तुम
कुछ बोलो तुम

डरो मत तुम
गर कथ्य विवादित हो
ठहरो मत तुम
गर वाद पराजित हो
हर युग में होते आये हैं
मुंह पर जाबी देने वाले
तू छोड़ सच पर, बोल अभी
जब होना हो वो साबित हो

अंतर जिधर जाने कहे   
उस मार्ग के अध्वग हो लो तुम
कुछ बोलो तुम

हाँ माना मैंने
चक्षु दोष से बाधित हो
हाँ माना मैंने
समयचक्र से शापित हो
पर ध्यान रहे वो वनित हर्ष
जानता नहीं शापित-बाधित
वो नहीं जानेगा क्यों तुम
प्रीणित या अवसादित हो  

कर आज मनन
सच के सलीब को ढो लो तुम
कुछ बोलो तुम

हों शब्द तुम्हारे स्नेह तिमित
या ज्वाला से प्लावित हो
उनको आने दो यथारूप
झूठ से ना वो शासित हो  
हो निघ्न निकृति सहते सहते
उर-ज्वाला में तपते तपते
जीवन मरण बन जाएगा
ग्लानि से सर जब नामित हो   

चाहे हो जाओ एकाकी
पर संग हवा न डोलो तुम
कुछ बोलो तुम

(निहार रंजन, सेंट्रल, १८ मई २०१३)

29 comments:

  1. दिल की बात हर हालत में बहार आनी ही चाहिए.. कुछ तो बोलो तुम बहुत बेजोड़ अभिव्यक्ति !!

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  2. बहुत सशक्त रचना ....
    आत्मबोध जीवन नैया पार लगा देता है ....!!
    सतत प्रयास चलता रहे बस ....
    बहुत प्रभावशाली अभिव्यक्ति ...!!

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  3. आप तो सितम ढाने को आमादा हैं साहब....
    ओजपूर्ण ... नायाब और शानदार पीस....

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  4. ओज़स्वी ...
    बहुत ही प्रभावी ... शब्द चयन, भाव और लय ... सभी मिल के कविता को नई ऊंचाई दे रहे हैं ...

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  5. सार्थक और सशक्त रचना |
    आशा

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  6. हर युग में होते आये हैं
    मुंह पर जाबी देने वाले
    तू छोड़ सच पर, बोल अभी
    अच्छा लगा खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  7. चाहे हो जाओ एकाकी
    पर संग हवा न डोलो तुम
    कुछ बोलो तुम..........बहुत बढ़िया।

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  8. ' मुंह पर जाबी '... अहा ! अति सुन्दर काव्य कृति..

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  9. वाह बेहतरीन कविता, श्रेष्ठ .... आप अगर अपने पोस्ट में लिंक लगा दें तो अच्छा होगा.

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  10. नीरज जी, लिंक लगाने की बात ठीक से समझा नहीं मैं. पोस्ट के किस हिस्से में लिंक लगाने का आपका अभिप्राय है?

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  11. बहुत सुन्दर निहार भाई। ऐसा लगता है इसे compose करना चाहिए, बड़ी ही मीठी गीत बनेगी। शब्द संचयन भी अति-सुन्दर है।

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  12. आपके इस पोस्ट का प्रसारण ब्लॉग प्रसारण www.blogprasaran.blogspot.in के आज 20.05.2013 के अंक में किया गया है. आपके सूचनार्थ.

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  13. बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  14. अति-सुन्दर अभिव्यक्ति

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  15. वाह ... बहुत ही बढिया

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  16. सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय ........

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  17. मौन तजो और कुछ बोलो ....सुन्दर रचना

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  18. ठहरो मत तुम
    गर वाद पराजित हो
    हर युग में होते आये हैं....


    सच है

    सुन्दर आह्वान

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  19. bahut bahut sunder........
    apki hindi bhi lazawab hein.

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  20. बहुत सुन्‍दर और सार्थक रचना आभार
    हिन्‍दी तकनीकी क्षेत्र की जादूई जानकारियॉ प्राप्‍त करने के लिये एक बार अवश्‍य पधारें और टिप्‍पणी के रूप में मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ साथ पर अनुसरण कर अनुग्रहित करें MY BIG GUIDE

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  21. बहती हवा के संग बहने से बेहतर सच के साथ चलना है
    सुन्दर रचना
    साभार !

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  22. कर आज मनन
    सच के सलीब को ढो लो तुम
    कुछ बोलो तुम--------

    जीवन का अनकहा सच
    सार्थक,सुंदर भाव
    बधाई

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  23. जो चुप रहेगी ज़बान-ए-खंजर..........बहुत खूब निहार भाई।

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  24. वाह ...
    बहुत सुंदर !

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  25. This comment has been removed by the author.

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